Karnataka: ईदगाह मैदान में ही होगा गणेश उत्सव, हाईकोर्ट के फैसले के बाद मैदान में स्थापित गई प्रतिमा
By अनिल शर्मा | Published: August 31, 2022 08:52 AM2022-08-31T08:52:12+5:302022-08-31T09:06:56+5:30
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने देर रात ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव मनाने की इजाजत दे दी। न्यायालय ने ये साफ कर दिया है कि ईदगाह वाली जमीन को लेकर कोई विवाद नहीं है। इससे पहले राज्य सरकार की तरफ से दलील दी गई थी कि वो विवादित जमीन है, लेकिन उच्च न्यायालय इसे नकार दिया है।
बेंगलुरुः कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हुबली-धारवाड़ के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति दे दी है। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले को बरकरार रखा। कोर्ट ने धार्मिक संस्कारों को न करने देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। गणेश उत्सव मनाए जाने के विरोध में अंजुमन इस्लाम ने याचिका दायर की थी जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी और कुछ शर्तों के साथ गणेश उत्सव मनाने की इजाजत दी।
ईदगाह के मैदान में गणेश पूजा को लेकर काफी विवाद चल रहा था। पहले भी कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यहां उत्सव की अनुमति दी थी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में दोनों पक्षों को यथास्थिति बनाकर रखने का आदेश दिया था। हालांकि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने देर रात ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव मनाने की इजाजत दे दी। न्यायालय ने ये साफ कर दिया है कि ईदगाह वाली जमीन को लेकर कोई विवाद नहीं है। इससे पहले राज्य सरकार की तरफ से दलील दी गई थी कि वो विवादित जमीन है, लेकिन उच्च न्यायालय इसे नकार दिया है।
कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने के लिए गणेश प्रतिमा को मैदान में स्थापित की गई।#GaneshaChaturthipic.twitter.com/eWELmyyx3m
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 31, 2022
वहीं कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ईदगाह मैदान में पंडाल लगाकर गणेश की प्रतिमा स्थापित कर दी गई है। मैदान में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। रानी चेन्नम्मा मैदान गजानन उत्सव महामंडल के संयोजक के गोवर्धन राव ने कहा कि 'रानी चेन्नम्मा मैदान नगर निगम का है, इसलिए हमने समिति महामंडल की ओर से अनुरोध किया था कि यहां इस गणपति उत्सव मनाने की अनुमति दी जाए।'
सर्वोच्च न्यायालय ने यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिया था
सर्वोच्च न्यायालय ने बेंगलुरु के ईदगाह मैदान पर गणेश चतुर्थी के समारोह को आयोजित करने की अनुमति देने से मंगलवार को इनकार कर दिया था और उस जगह पर दोनों पक्षों को यथास्थिति बनाकर रखने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मामले के पक्षों को विवाद निवारण के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय में जाने को कहा। पीठ ने कहा था, ‘‘विशेष अनुमति याचिका में उठाये गये विषयों को दोनों पक्ष उच्च न्यायालय में रख सकते हैं।