कर्नाटक: बीजेपी या कांग्रेस+जेडीएस, फ्लोर टेस्ट में बन सकती है ये चार संभावनाएं, येदियुरप्पा को होगा फायदा
By पल्लवी कुमारी | Published: May 19, 2018 10:19 AM2018-05-19T10:19:32+5:302018-05-19T12:02:47+5:30
कर्नाटक की 224 विधान सभा सीटों में से 222 विधान सभा सीटों के लिए 12 मई को चुनाव हुए थे। 15 मई को आए परिणाम में बीजेपी को 104 सीटें, कांग्रेस को 78 सीटें और जेडीएस गठबंधन को 38 सीटें मिलीं।
बेंगलुरु, 19 मई: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से शुरू हुआ राज्य में सत्ता का घमासान शनिवार को अपने अंजाम तक पहुंच जाएगा। शाम चार बजे येदियुरप्पा सरकार के बहुमत परीक्षण के बाद इतने दिनों से चल रही राजनीतिक सरगर्मी खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने बीएस येदियुरप्पा को शनिवार (19 मई) शाम चार बजे विधान सभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा है। कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने 16 मई की रात को येदियुरप्पा को बीजेपी विधायक दल के नेता के तौर पर सरकार बनाने का निमंत्रण दिया। कांग्रेस रातोंरात इस मसले को सुप्रीम कोर्ट लेकर गयी। 17 मई की सुबह नौ बजे येदियुरप्पा ने बगैर किसी मंत्रिमंडल के अकेले सीएम पद की शपथ ले ली। 18 मई को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई और अदालत ने 19 मई को ही बहुमत साबित करने का आदेश दे दिया।
कर्नाटक की 224 विधान सभा सीटों में से 222 विधान सभा सीटों के लिए 12 मई को चुनाव हुए थे। 15 मई को आए परिणाम में बीजेपी को 104 सीटें, कांग्रेस को 78 सीटें और जेडीएस गठबंधन को 38 सीटें मिलीं।जेडीएस नेता कुमारस्वामी दो सीटों पर जीते हैं। इस हिसाब से बहुमत 221 सीटों के लिहाज से 111 विधायकों के समर्थन पर आता है। बीजेपी के पास 104 विधायक हैं जबकि पोस्ट पोल अलायंस का दावा कर रही कांग्रेस-जेडीएस अन्य विधायकों को मिलाकर 118 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं।
कर्नाटक फ्लोर टेस्ट LIVE:येदियुरप्पा का बहुमत परीक्षण शाम 4 बजे आज, देखें पल-पल की अपडेट
ऐसे में आज शाम चार बजे कर्नाटक में क्लाईमैक्स के तौर पर आपको ये परिस्थितियां देखने को मिल सकती है...
1- बहुमत परीक्षण के दौरान अगर ग्रेस और जेडीएस के कम से कम 7 विधायक येदियुरप्पा सरकार के पक्ष में वोटिंग कर दें। हालांकि ऐसे में उन विधायकों पर दल-बदल कानून का सामना करना पड़ेगा।
2- कांग्रेस+जेडीएस के 14 विधायक शपथ ग्रहण के तुरंत बाद इस्तीफा दें या फ्लोर टेस्ट में शामिल ना हो तो, ऐसे में विधानसभा में 206 सीटें हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 104 हो जाएगा। वैसी स्थिति में दियुरप्पा सरकार बचाने में सफल हो जाएंगे। जिसके बाद फ्लोर टेस्ट में शामिल न होने वाले विधायकों की सदस्यता तो जाएगी लेकिन उपचुनाव में वे बीजेपी का टिकट पा वापसी कर सकते हैं।
3- फ्लोर टेस्ट में एक और सीन बन सकता है, विधानसभा की कार्यवाही बाधित की जा सकती है। ऐसे में प्रोटेम स्पीकर की भूमिका अहम हो जाती है। प्रोटेम स्पीकर कुछ विधायकों को निष्कासित कर सकते हैं और बहुमत का आकंड़ा घट सकता है।
4- फ्लोर टेस्ट से पहले अगर येदियुरप्पा को यकीन हो जाए कि उनके पास संख्या बल नहीं है तो वह बहुमत परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे सकते हैं।