बेंगलुरु:कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने उडुपी के मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में शिक्षक द्वारा एक अल्पसंख्यक छात्र को 'अजमल कसाब' कह कर संबोधित करने वाले विवाद को सामान्य घटना करार देते हुए कहा कि ऐसा तो अक्सर होता है। यह कोई विवाद का मुद्दा नहीं हैं लेकिन कुछ लोग इस वोट की खातिर विवाद की शक्ल दे रहे हैं।
हालांकि शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने इसके साथ यह भी कहा कि शिक्षक को छात्र के बारे में ऐसी टिप्पणी नहीं कहनी चाहिए थी लेकिन इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। ये एक मानवीय भूल है लेकिन इस मसले पर हो रही राजनीति गलत है, कुछ लोग हैं, जो इसे वोटबैंक का मुद्दा बना रहे हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई से उन्होंने कहा, "सामान्य बातचीत के दौरान हम भी कई बार विधानसभा में किसी को रावण तो किसी को शकुनि कह देते हैं, इसका क्या इसका मतलब कि हमने जो कहा वो सचमुच में ऐसा है। समस्या दरअसल यह है कि कसाब का नाम आते ही कुछ लोग इसे मुद्दा बना रहे हैं क्योंकि उन्हें खास लोगों के वोट चाहिए। ऐसे लोगों से मैं कहना चाहता हूं कि इसे इतना बड़ा मुद्दा न बनाएं और इस विवाद के बहाने राजनीति न करें।"
मालूम हो कि उडुपी जिले के एमआईटी के एक प्रोफेसर ने एक मुस्लिम छात्र को आतंकवादी अजमल कसाब के नाम से बुलाया था, जिस पर छात्र ने आपत्ति जाहिर करते हुए पूरी घटना का वीडियो सार्वजनिक कर दिया था। जिसमें छात्र और प्रोफेसर के बीच इस मुद्दे को लेकर बहस हो रही थी। वह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसके कारण एमआईटी ने सख्त एक्शन लेते हुए आरोपी प्रोफेसर को पद से निलंबित कर दिया गया।
हालांकि मामले में विदाद बढ़ने के बाद एमआईटी के उस प्रोफेसर ने छात्र माफी भी मांग ली थी लेकिन बावजूद उसके एमआईटी प्रोफेसर को निलंबित करते हुए पूरे मामले की जांच कर रही है। वायरल वीडियो में छात्र को आरोपी प्रोफेसर सफाई दे रहे हैं कि उन्होंने मजाकिया लहजे में उसे कसाब कहा था। जिसके जवाब में छात्र कहता है कि देश के लिए 26/11 मज़ाक नहीं था। क्या मुसलमान होने के नाते उसे हर रोज यह सब सुनना पड़ेगा।
इसके जवाब में प्रोफेसर कहते हैं कि वह उनके बेटे की तरह है। उसके आगे छात्र कहता है कि अगर उसके पिता ने ऐसा कुछ कहा होता तो वह उनता भी विरोध करता। छात्र ने प्रोफेसर से पूछा कि क्या वो भरी क्लास के सामने अपने बेटे को आतंकवादी कहेंगे?