कर्नाटक: शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, "हिजाब पहनने की इजाजत नहीं होगी प्री-यूनिवर्सिटी परीक्षा में"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 5, 2023 12:55 PM2023-03-05T12:55:30+5:302023-03-05T12:58:54+5:30
कर्नाटक सरकार ने हिजाब विवाद की फौरन सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट के इनकार के बाद स्पष्ट कर दिया है कि 9 मार्च से शुरू होने वाली प्री-यूनिवर्सिटी परीक्षा में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
बेंगलुरु:सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिजाब विवाद की फौरन सुनवाई से इनकार के बाद अब कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने स्पष्ट कर दिया है कि 9 मार्च से शुरू होने वाली प्री-यूनिवर्सिटी परीक्षा में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
शिक्षा मंत्री नागेश ने कहा, “पिछले साल की तरह इस साल भी छात्राओं को केवल स्कूल द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म को पहनकर परीक्षा देने की आज्ञा दी जाएगी। स्कूल यूनिफॉर्म के नियम सबके लिए समान रूप से लागू होंगे और सभी को उसका पालन करना चाहिए।"
इसके साथ ही बीसी नागेश ने यह भी स्पष्ट किया कि हिजाब प्रतिबंध के बाद ली गई परीक्षाओं में बैठने वाले मुस्लिम छात्राओं की संख्या बढ़ी है। लेकिन उन्होंने अपने दावों के संबंध में कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं दिया।
उन्होंने कहा, “हिजाब पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद हुई परीक्षाओं में पहले की तुलना में अधिक मुस्लिम छात्राएं शामिल हुई हैं और स्कूलों में अधिक मुस्लिम छात्राओं का नामांकन हुआ है। शिक्षा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि हिजाब बैन के बाद परीक्षा देने वाली छात्राओं में बड़ी संख्या मुस्लिम छात्राओं की थी।"
इस बीच बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कर्नाटक की प्री-यूनिवर्सिटी परीक्षा में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर परीक्षा देने के लिये दायर की गई याचिका को फौरन सुनने से इनकार कर दिया था।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने याचिका की फौरन सुनवाई की मांग को खारिज करते हुए कहा, "हम इस याचिका को होली की छुट्टी के बाद देखेंगे।"
वहीं मामले में याचिकाकर्ता वकील ने इस आधार पर याचिका की तत्काल सुनवाई की मांग कर रहे थे कि अगर याचिका को नहीं सुना जाएगा तो लड़कियां का एक और शैक्षणिक साल बर्बाद हो सकता है।
जिस पर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह विवाद एक साल से पुराना है और इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है कि किसी का शैक्षिक सत्र बर्बाद हो जाएगा। किसी को परीक्षा से वंचित नहीं किया जा रहा है। 6 मार्च को होली का अवकाश शुरू हो रहा है और 13 मार्च को फिर से जब कोर्ट खुलेगा तो मामले की सुनवाई होगी।
मालूम हो कि 15 मार्च 2022 को कर्नाटक हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाज़ी की बेंच ने इस संबंध में 129 पन्नों का फैसला देते हुए कहा था कि हिजाब मुस्लिम धर्म का आवश्यक धार्मिक अभ्यास नहीं है। इसलिए राज्य सरकार द्वारा लागू किया प्रतिबंध जायज है और लागू रहेगा। जिससे बाद राज्य सरकार ने प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में बिना हिजाब के परीक्षाओं को करवाया था।
हाईकोर्ट ने हिजाब बैन को सही ठहराने का फैसला आठ मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनाया था, जिन्हें हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश करने से रोका गया था। यह विवाद मुख्यरूप से 1 जनवरी 2022 को कॉलेज विकास परिषद द्वारा कॉलेज और स्कूल परिसरों में हिजाब को बैन किये जाने के बाद उठा था।
हिजाब बैन को लेकर कई मुस्लिम छात्राओं ने कॉलेजों और स्कूलों के बाहर तीखा विरोध-प्रदर्शन किया था। उस विरोध प्रदर्शन पर कॉलेज प्रशासन की ओर से कहा गया था कि छात्राओं के हिजाब पहनने पर कोई पाबंदी नहीं है लेकिन उन्हें कॉलेज परिसर और क्लासरूम के इसे पहनने की इजाजत नहीं होगी।