कर्नाटक में 'युवा निधि योजना' के तहत किन बेरोजगार युवाओं को मिलेगा कितना पैसा, क्या हैं शर्त और कैसे कर सकेंगे अप्लाई, जानिए सबकुछ
By विनीत कुमार | Published: June 4, 2023 08:21 AM2023-06-04T08:21:57+5:302023-06-04T08:28:08+5:30
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार इन दिनों एक्शन में है। सरकार ने स्नातक और डिप्लोमा धारक बेरोजगार युवाओं के लिए 'युवा निधि योजना' के तहत लाभ देने संबंधी पात्रता मानदंड तय कर दिए हैं।

कर्नाटक में 'युवा निधि योजना' के लिए पात्रता मानदंड तय (फाइल फोटो)
बेंगलुरु: कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की कैबिनेट द्वारा चुनाव पूर्व पांच गारंटियों को लागू करने की तारीखों को मंजूरी देने के एक दिन बाद शनिवार को राज्य सरकार ने बेरोजगार स्नातक और डिप्लोमा धारकों को 'युवा निधि योजना' से लाभ देने लेने के लिए पात्रता मानदंड तय करने वाले सरकारी आदेश को भी जारी कर दिया।
साथ ही 'अन्न भाग्य' जो एक अन्य चुनाव पूर्व वादा था और जिसके तहत बीपीएल या अंत्योदय कार्ड रखने वाले परिवारों के लिए प्रति व्यक्ति खाद्यान्न की मात्रा को बढ़ाकर 10 किलोग्राम किया जाना था, उसे लेकर भी पात्रता संबंधी सूचना जारी कर दी गई।
युवा निधि योजना के तहत किसे मिलेगा फायदा?
युवा निधि योजना के तहत ऐसे लोग जो 2023 में पास आउट हो गए हैं, लेकिन पास आउट होने के 180 दिनों के भीतर तक रोजगार नहीं मिला है, वे बेरोजगारी लाभ के लिए आवेदन कर सकते हैं जो अधिकतम 24 महीने या इसी 24 महीने में उस समय तक दिया जाएगा जब तक रोजगार नहीं मिल जाता है। स्नातक कर चुके युवाओं को जहां 3,000 रुपये मिलेंगे। वहीं, डिप्लोमा धारकों को 1,500 रुपये प्रति माह मिलेंगे। यह योजना केवल उन लोगों के लिए है जो कर्नाटक के निवासी हैं।
सेवा सिंधु पोर्टल पर करना होगा आवेदन
बेरोजगारी लाभ या भत्ता सीधे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया जाएगा और इस योजना का लाभ लेने वालों को सेवा सिंधु पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना होगा। ऐसे लोगों को नौकरी मिल जाने पर स्वैच्छिक रूप से इसकी घोषणा करनी होगी और अधिकारियों को इस बारे में सूचित करना होगा। अगर गलत जानकारी दी जाती है तो ऐसे लोगों पर जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि, यह जुर्माना कितना होगा, इसे लेकर सरकार की ओर से कुछ नहीं कहा गया है।
कौन से लोग योजना का नहीं उठा सकते लाभ?
राज्य सरकार ने छात्रों की चार श्रेणियों को इसका लाभ लेने से रोका है। इनमें वे लोग शामिल हैं जिन्होंने स्वरोजगार के लिए राज्य और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं से वित्तीय सहायता ली है; जिन्हें अपरेंटिस भत्ता मिल रहा है, जिन लोगों ने सरकारी या निजी क्षेत्र में रोजगार पाया है, या जिन्होंने उच्च पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश प्राप्त किया है।
राज्य सरकार ने अनुमान लगाया है कि इस वर्ष लगभग 4.7 लाख स्नातक और लगभग 50,000 डिप्लोमा छात्र उत्तीर्ण होंगे। ऐसे में इन पर पर सालाना लगभग 1,274 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं।