ये है पूरी रूपरेखा, इस तरह कल सदन में बहुमत पेश करेंगे बीएस येदियुरप्पा
By भाषा | Published: May 18, 2018 09:06 PM2018-05-18T21:06:25+5:302018-05-18T21:06:25+5:30
अस्थाई अध्यक्ष बोमैया नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे।
नई दिल्ली, 18 मई: उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक विधानसभा में कल मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा सरकार के शक्ति परीक्षण के लिये चार स्पष्ट निर्देश दिये हैं जिनका पालन करना होगा।
न्यायालय ने अपने आदेश में तत्काल विधानसभा के लिए अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त करने का निर्देश दिया है। अस्थाई अध्यक्ष नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे। यह प्रक्रिया अपराह्न चार बजे से पहले पूरी करनी होगी और चार बजे बहुमत का पता लगाने के लिये शक्ति परीक्षण होगा।
न्यायमूर्ति ए के सिकरी , न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की विशेष खंडपीठ ने पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त करने का आदेश देते हुये कहा है कि कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक व्यक्तिगत रूप से सारे बंदोबस्त की निगरानी करेंगे ताकि इसमें किसी प्रकार की खामी नहीं रह जाये।
पीठ ने मुख्यमंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के इस कथन को भी नोट किया कि चूंकि शक्ति परीक्षण अपराह्न चार बजे होगा , इसलिए येदियुरप्पा यह प्रक्रिया सम्पन्न होने तक कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे।
पीठ ने यह भी दर्ज किया कि न्यायालय के 17 मई के आदेश के अनुपालन में रोहतगी ने कर्नाटक के राज्यपाल को संबोधित येदियुरप्पा के 15 और 16 मई के पत्रों की प्रतियां पेश की हैं। (जरूर पढ़ेंः 'सुप्रीम कोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी की गई ये दलील पढ़ लीजिए, आप तीन दिनों तक बिस्तर से नहीं उठेंगे')
पीठ ने यह भी नोट किया कि 16 मई के पत्र में यह दावा किया गया है कि येदुयुरप्पा की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है और उसे अन्य का भी समर्थन प्राप्त है तथा उनके पास आवश्यक बहुमत है। पीठ ने इस तथ्य को भी रिकार्ड पर लिया कि इसी आधार पर राज्यपाल से राज्य में सरकार बनाने का दावा किया गया था।
न्यायालय ने कांग्रेस - जद ( स ) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी , और कपिल सिब्बल के इस कथन को भी रिकार्ड में लिया कि राज्यपाल इन पत्रों के आधार पर राज्य में सरकार गठित करने के लिये येदियुरप्पा को आमंत्रित नहीं कर सकते थे।
पीठ ने आदेश में कहा कि रोहतगी ने इस दलील का पुरजोर प्रतिवाद किया। आदेश में यह भी कहा गया , ‘‘इस तरह के मामले में यह फैसला करने के लिये विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है कि क्या येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित करने की राज्यपाल की कर्रवाई कानून के अनुरूप थी या नहीं। ’’ ( जरूर पढ़ेंः बीजेपी के बोपैया बने प्रोटेम स्पीकर, इनके सामने कल बहुमत साबित करेंगे येदियुरप्पा)
पीठ ने कहा , ‘‘ चूंकि इसमें काफी समय लगेगा और अंतिम निर्णय तत्काल नहीं दिया जा सकता , इसलिए हम उचित समझते हैं कि एक समूह या दूसरे के पास बहुमत का पता लगाने के लिये तत्काल और बगैर किसी विलंब के सदन में शक्ति परीक्षण होना चाहिए। ’’
पीठ ने भाजपा और उसके नेताओं को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिये छह सप्ता ह का वक्त दिया और कहा कि इसके बाद चार सप्ताह के भीतर कांग्रेस - जद ( स ) की ओर से जवाबी हलफनामा दाखिल किया जायेगा।