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कर्नाटक: महंगी संपत्तियों को हड़पने के लिए वीआईपी लोगों ने गिरोह को काम पर लगाया, फर्जी मुकदमे कर हड़प ली संपत्तियां

By विशाल कुमार | Updated: November 28, 2021 08:08 IST

जांचकर्ताओं का अनुमान है कि कथित गिरोह की सेवाओं का उपयोग करके कई सैकड़ों करोड़ की संपत्ति वीआईपी और अन्य लोगों द्वारा हड़प ली गई।

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ठळक मुद्देये गिरोह छोटे से कोर्टरूम के सहारे फर्जी मुकदमे कर अवैध संपत्तियों पर कब्जा कर लेते हैं।कई सैकड़ों करोड़ की संपत्ति वीआईपी और अन्य लोगों द्वारा हड़प ली गई।

बेंगलुरु: बेंगलुरु की कुछ बेहद महंगी संपत्तियों को हड़पने के लिए राजनीतिक रूप से प्रभावशाली कुछ लोगों ने एक ऐसे कथित गिरोह को काम पर लगाया था जो कि फर्जी दस्तावेज बनाकर एक नकली मालिक और एक नकली किरायेदार के बीच एक काल्पनिक किराए का विवाद पैदा करके छोटे से कोर्टरूम के सहारे अवैध संपत्तियों पर कब्जा कर लेते हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जांचकर्ताओं का अनुमान है कि कथित गिरोह की सेवाओं का उपयोग करके कई सैकड़ों करोड़ की संपत्ति वीआईपी और अन्य लोगों द्वारा हड़प ली गई।

प्रदेश सीआईडी की जांच के अनुसार, शाह हरिलाल भीकाभाई एंड कंपनी द्वारा दायर एक मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पिछले साल 118 मामलों के साथ ऐसे घर खाली कराने वाले रैकेट का खुलासा किया हुआ था, जिसमें कथित तौर पर वकीलों और फर्जी वादियों का एक ही समूह शामिल था।

शाह हरिलाल भीकाभाई एंड कंपनी एक निजी कंपनी है जिसके खिलाफ एक स्थानीय अदालत में उत्तरी बेंगलुरु की संपत्ति के लिए नकली किरायेदारों और मालिकों को रखकर बेदखली का आदेश प्राप्त किया गया था।

हाईकोर्ट ने बेदखली रैकेट की गहन जांच का आदेश दिया और राज्य सरकार ने इस साल की शुरुआत में राज्य सीआईडी को जांच सौंपी।

बेदखली रैकेट को लेकर अब तक सीआईडी 60 एफआईआर दर्ज कर चुकी है। यह पाया गया है कि नकली फरमान प्राप्त करने के लिए छोटी अदालत में दायर 118 मामलों में से कुछ में वीआईपी शामिल थे, जिन्होंने प्रमुख विवादित संपत्तियों को हथियाने के लिए फर्जी मुकदमे करने वालों को काम पर रखा था।

सीआईडी ने अभी तक वीआईपी से जुड़े मामलों में प्राथमिकी दर्ज नहीं की है, लेकिन जांच के सिलसिले में कांग्रेस और भाजपा दोनों से जुड़े एक पूर्व सांसद से जुड़े 2018 के कम से कम एक मामले के दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं। पूर्व सांसद का नाम कम से कम चार मामलों में सामने आया है।

आरोप है कि इस रैकेट की शुरुआत 2013 में संपत्ति के अधिकार से कटे लोगों के इशारे पर विवादित संपत्तियों को निशाना बनाकर की गई थी। सूत्रों ने कहा कि कथित गिरोह बाद में किसी का भी काम करने के लिए नकली फरमान प्राप्त करने लगा।

हाईकोर्ट नकली फरमान रैकेट की जांच की निगरानी कर रहा है और सीआईडी ने 16 नवंबर को एक सीलबंद लिफाफे में अदालत को एक जांच अपडेट प्रस्तुत किया। हाईकोर्ट ने सीआईडी को जांच तेजी से पूरी करने और स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

टॅग्स :कर्नाटककोर्टPoliceKarnataka High Court
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