VIDEO: कानपुर का अनोखा रावण मंदिर, दशहरे के दिन रावण की पूजा-अर्चना की जाती है
By संदीप दाहिमा | Updated: October 2, 2025 15:29 IST2025-10-02T15:28:04+5:302025-10-02T15:29:58+5:30
कानपुर के शिवाला क्षेत्र में रावण को समर्पित एक मंदिर के कपाट एक अनोखी परंपरा के तहत साल में सिर्फ एक बार विजयादशमी पर ही भक्तों के लिए खुलते हैं।

VIDEO: कानपुर का अनोखा रावण मंदिर, दशहरे के दिन रावण की पूजा-अर्चना की जाती है
कानपुर के शिवाला क्षेत्र में रावण को समर्पित एक मंदिर के कपाट एक अनोखी परंपरा के तहत साल में सिर्फ एक बार विजयादशमी पर ही भक्तों के लिए खुलते हैं। भक्त इस मंदिर में सुबह छह बजे से रात साढ़े आठ बजे तक ही पूजा-अर्चना कर सकते हैं। इससे ठीक पहले शहर भर में रावण के पुतलों को भगवान राम द्वारा उसकी पराजय के उपलक्ष्य में आग के हवाले कर दिया जाता है। मंदिर के पुजारी चंदन मौर्य ने 'पीटीआई वीडियो' को बताया, ''भक्त यहां सरसों के तेल के दीये जलाते हैं और महिलाएं वैवाहिक आशीर्वाद के लिए तोरई के फूल चढ़ाती हैं। सुबह हम रावण का जन्मदिन मनाते हैं। रात में भगवान राम ने उसे मोक्ष प्रदान किया और रावण वैकुंठ धाम (स्वर्ग) चला गया।'' उन्होंने बताया कि मंदिर के कपाट सिर्फ दशहरे के दिन सुबह छह बजे खुलते हैं और रात साढ़े आठ बजे बंद हो जाते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि इस मंदिर में दशहरे के दिन हज़ारों लोग आते हैं। एक भक्त राजिंदर गुप्ता ने कहा, ''दशहरे पर रावण को नहीं, बल्कि उसके पुतले को जलाया जाता है।
यूपी: कानपुर शहर में एक अनोखा रावण मंदिर है, जो खास बाजार, शिवाला, पटकापुर में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सन् 1868 में महाराज गुरु प्रसाद ने करवाया था। जहां देश भर में दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है, वहीं इस मंदिर में दशहरे के दिन सुबह-सुबह रावण… pic.twitter.com/1o3SgHB6MH
— IANS Hindi (@IANSKhabar) October 2, 2025
इसका कारण यह है कि उसने अपार शक्ति और ज्ञान प्राप्त किया और दुनिया पर राज किया लेकिन उसने इन गुणों का दुरुपयोग किया। वह अहंकारी हो गया था और जब कोई अहंकारी हो जाता है तो वह गलत कामों की ओर मुड़ जाता है।'' कानपुर का यह मंदिर भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर नहीं है जहां रावण की पूजा की जाती है। देश के विभिन्न हिस्सों में भी समुदाय उनकी पूजा करते हैं। कुछ तो उन्हें अपना पूर्वज भी मानते हैं, जैसे नोएडा के बिसरख गांव के लोग। बिसरख को रावण का जन्मस्थान माना जाता है और वहां उसका एक मंदिर भी है। इस मंदिर में भक्त न केवल विशेष अवसरों पर, बल्कि पूरे साल भर आते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस गांव में रावण का पुतला नहीं जलाया जाता बल्कि उसकी पूजा की जाती है।
➡️दशहरा के दिन जहां देश भर में रावण दहन कर विजय दशमी की खुशियां मनाई जाती हैं, वहीं #कानपुर के शिवाला में दशानन का डेढ़ सौ वर्ष से अधिक पुराना रावण का मंदिर है जहाँ पर लोग रावण की विद्वता और ज्ञान की पूजा कर अपने अंदर के अहंकार को त्यागने का संकल्प लेते हैं। #UPNewspic.twitter.com/e3wNHIxrlc
— AIR News Lucknow (@airnews_lucknow) October 2, 2025