फिर मुश्किलों में कंगना रनौत, 'आजादी' वाले बयान के लिए अदालत ने नोटिस जारी किया, जानें पूरा मामला
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: October 8, 2024 10:27 IST2024-10-08T10:25:47+5:302024-10-08T10:27:01+5:30
अभिनेत्री से नेता बनी कंगना रनौत एक बार फिर मुश्किलों में फंसती नजर आ रही हैं। अपने "आजादी" वाले विवादित बयान को लेकर वह कानूनी पचड़े में फंस गई हैं। जबलपुर जिला न्यायालय ने मंडी सांसद के खिलाफ उनके बयान के लिए नोटिस जारी किया है।

अभिनेत्री से नेता बनी कंगना रनौत एक बार फिर मुश्किलों में फंसती नजर आ रही हैं
नई दिल्ली: अभिनेत्री से नेता बनी कंगना रनौत एक बार फिर मुश्किलों में फंसती नजर आ रही हैं। अपने "आजादी" वाले विवादित बयान को लेकर वह कानूनी पचड़े में फंस गई हैं। जबलपुर जिला न्यायालय ने मंडी सांसद के खिलाफ उनके उस बयान के लिए नोटिस जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि हमें '1947' में जो आजादी मिली वह भीख मांगकर मिली थी। भाजपा सांसद ने दावा किया था कि "भारत को 2014 में आजादी मिली थी।"
कंगना के बयान से आहत होकर अधिवक्ता अमित साहू ने शिकायत दर्ज कराई थी। मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी। 2021 में, साहू ने अधारताल पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत पर कोई कार्रवाई न होने के बाद याचिका दायर की। उन्होंने अदालत को बताया कि उन्होंने पहले पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई और बाद में जिला एसपी को एक पत्र लिखा। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने मामले को अदालत में ले जाने का फैसला किया।
साहू ने अभिनेत्री द्वारा दिए गए बयान पर अपनी पीड़ा व्यक्त की। दालत से रनौत के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए आईपीसी के संबंधित प्रावधानों के तहत मामला दर्ज करने का आग्रह किया।
क्या कहा था कंगना ने
बता दें कि भाजपा सांसद ने कहा था कि "असली आज़ादी 2014 में मिली"। इस टिप्पणी ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया था। बाद में कंगना ने अपनी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण दिया था। जब उनसे पूछा गया कि भारत की आज़ादी पर उनके बयान के लिए उन्हें ट्रोल करने वाले लोगों के बारे में उनका क्या कहना है, तो भाजपा सांसद ने कहा, "क्या आज़ादी सिर्फ़ शरीर तक सीमित है? अगर ऐसा है, तो हम कभी भी सही मायने में आज़ाद नहीं थे। क्या हम उनके द्वारा कैद थे? नहीं। यह उनकी बनाई हुई कानून व्यवस्था थी। उन्होंने सब कुछ बनाया। तो फिर हम किससे आज़ाद थे?"
उन्होंने कहा, "हम अपनी विचारधाराओं से आज़ाद नहीं थे। हमारे पास विचारों की आज़ादी नहीं थी। हमारे पास अपने लोगों को चुनने की आज़ादी नहीं थी... हमारे पास अपने धर्म का पालन करने की आज़ादी नहीं थी।"
कंगना ने कहा था कि जो लोग जेल में टीवी देखते थे, वे सरकार चलाते हैं। क्या वे ब्रिटिश लोगों का ही विस्तार नहीं हैं? मेरे पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि वे ब्रिटिश लोगों का ही विस्तार थे।