कांची मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का बुधवार सुबह निधन हो गया। वो 82 वर्ष के थे। जयेंद्र सरस्वती कांची कामकोटी पीठ के 69वें शंकराचार्य थे। तमिलनाडु के कांचीपुरम नगर में स्थित कांची पीठ हिंदू धर्मानुयायियों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पीठ कई तरह के धार्मिक संस्थान, शिक्षण संस्थान, अस्पताल इत्यादि चलाती है।
उन्हें सांस की समस्या थी जिसके बाद उन्हें जनवरी से कामाक्षी अम्मन मंदिर के निकट स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल और मठ के सूत्रों ने उनकी मृत्यु की पुष्टि की है। उनकी मृत्यु पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'श्री कांची कामकोटि पीतम जगदगुरू पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य की के निधन पर मनोवेदना से भरा हुआ है। वो लाखों श्रृद्धालुओं के दिलो-दिमाग में जिंदा रहेंगे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।' एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा जगद्गुरू पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य समाज की सेवा में अग्रणी थे। उन्होंने ऐसे संस्थान बनाए हैं जिसने लोगों की जिंदगी में गहरे असर किया है।
शंकराचार्य बनने से पहले उनका नाम सुब्रमण्यम महादेव अय्यर था। वो 18 जुलाई 1935 को दक्षिण भारत में पैदा हुए थे। शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का विवादों से भी नाता रहा। उनपर मंदिर के कर्मचारी शंकर रामन की हत्या का आरोप था। इस मामले में शंकराचार्य को दो माह जेल में भी बिताने पड़े। 2013 में इस मामले में उन्हें बरी किया गया।