जस्टिस ऋतु राज अवस्थी: विधि आयोग को समान नागिक संहिता पर अब तक 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 29, 2023 07:25 AM2023-06-29T07:25:40+5:302023-06-29T07:32:54+5:30

समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर मचे बवाल के बीच विधि आयोग ने कहा कि कानून के इस बेहद गंभीर मुद्द पर सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया शुरू करने के केवल दो सप्ताह के भीतर आयोग को 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं।

Justice Ritu Raj Awasthi: Law Commission has received 8.5 lakh responses on Uniform Civil Code so far | जस्टिस ऋतु राज अवस्थी: विधि आयोग को समान नागिक संहिता पर अब तक 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं

जस्टिस ऋतु राज अवस्थी: विधि आयोग को समान नागिक संहिता पर अब तक 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं

Highlightsविधि आयोग के अध्यक्ष ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर साझा की बेहद अहम जानकारी जस्टिस आरआर अवस्थी ने कहा कि आयोग ने 14 जून से इससे संबंधी राय जनता से मांगी थीकेवल दो सप्ताह के भीतर विधि आयोग को जनता की ओर से 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं

दिल्ली: विधि आयोग ने देश में समान नागरिक संहिता के विषय पर चल रही तीखी बहस के बीच जानकारी प्रदान की है कि कानून के इस बेहद गंभीर मुद्द पर सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया शुरू करने के केवल दो सप्ताह के भीतर पैनल को 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं।

विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस रितु राज अवस्थी ने मामले में बुधवार को जानकारी देते हुए कहा कि विधि आयोग ने 14 जून को समान नागरिक संहिता के विषय में आम जनता से और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित समाज के अन्य कई पक्षों से उनके विचार मांगे थे।

समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए जस्टिस अवस्थी ने कहा, ''समान नागरिक संहिता के विषय पर हमें कल तक लगभग 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं।''

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का आम तौर पर मतलब देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होना है, जो धर्म पर आधारित नहीं है। व्यक्तिगत कानून और विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार से संबंधित कानूनों को एक सामान्य कोड द्वारा कवर किए जाने की संभावना है।

समान नागरिक संहिता को देश में लागू करना मौजूदा सत्ताधारी दल भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इस विषय पर उत्तराखंड पहले से ही राज्य का अपना कॉमन कोड बनाने की प्रक्रिया में है। इसके अलावा भाजपा ने हाल के विधानसभा चुनावों से पहले कर्नाटक में समान नागरिक संहिता का वादा किया था।

इस मामले में देश में उस समय गहन विमर्श का रूप अख्तियार कर लिया, जब बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित एक कार्यक्रम मे समान नागरिक संहिता की जोरदार वकालत की और इसे लागू पर जोर दिया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में पूछा था कि देश व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले दोहरे कानूनों के साथ कैसे काम कर सकता है और विपक्ष पर समान नागरिक संहिता के विषय पर मुस्लिम समुदाय को "गुमराह करने और भड़काने" का प्रयास कर रहा है।

पीएम मोदी के इस बयान पर विपक्षी दलों की ओर से भी खासी प्रतिक्रिया आयी और उसने समान नागरिक संहिता पर पीएम मोदी के दिये बयान पर तीखा हमला किया। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पीएम मोदी देश में फैली बेरोजगारी और मणिपुर हिंसा जैसे वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसी टिप्पणी कर रहे हैं।

वहीं एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा कि क्या समान नागरिक संहिता के नाम पर यह सरकार देश के बहुलवादी रूप को ''छीनना'' चाहती है। वहीं विपक्षी खेमे की एकमात्र प्रमुख पार्टी आप ने समान नागरिक संहिता पर विपक्षी रूख से अलग स्टैंड लेते हुए कहा कि वह सैद्धांतिक रूप से समान नागरिक संहिता का समर्थन करती है लेकिन इसे लागू करने के लिए आम सहमति का बनना बेहद आवश्यक है।

Web Title: Justice Ritu Raj Awasthi: Law Commission has received 8.5 lakh responses on Uniform Civil Code so far

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