सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू ने फेसबुक पर पूर्व CJI रंजन गोगोई को कहे अपशब्द, लिखा- 20 साल वकील, 20 साल जज रहा लेकिन....

By स्वाति सिंह | Updated: March 18, 2020 08:28 IST2020-03-18T08:28:39+5:302020-03-18T08:28:39+5:30

बता दें कि केरल में फरवरी, 2011 में एक ट्रेन में हुए सनसनीखेज सौम्या बलात्कार और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असहमति जताते हुए पूर्व जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने तब सोशल मीडिया पर तल्ख टिप्पणियां की थीं। इसे लेकर जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 11 नवंबर, 2016 को पूर्व सहयोगी जस्टिस मार्कण्डेय काटजू को अवमानना का नोटिस जारी करके सनसनी पैदा कर दी थी।

Justice Markandey Katju on former CJI Ranjan Gogoi sent to Rajya Sabha, justice jospeh many other judges also gave such response | सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू ने फेसबुक पर पूर्व CJI रंजन गोगोई को कहे अपशब्द, लिखा- 20 साल वकील, 20 साल जज रहा लेकिन....

पूर्व CJI गोगोई के मनोनयन पर राजनीतिक वर्गों एवं अन्य क्षेत्रों में बहस चल रही है जो 13 महीने तक भारत का प्रधान न्यायाधीश रहने के बाद पिछले वर्ष नवम्बर में सेवानिवृत्त हुए थे।

Highlightsराज्यसभा में गोगोई के मनोनयन की पूर्व न्यायाधीशों ने आलोचना कीपूर्व CJI गोगोई के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कण्डेय काटजू, जस्टिस कुरियन जोसफ सहित पूर्व न्यायाधीशों ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के राज्यसभा में मनोनयन की कड़ी आलोचना की है। मार्कण्डेय काटजू ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा, 'मैं 20 साल से वकील और दूसरे 20 साल जज के तौर पर काम किया है। मैं कई अच्छे जजों और कई बुरे जजों को जानता हूं। लेकिन मैंने कभी भी भारतीय न्यायपालिका के किसी भी न्यायाधीश को इस यौन विकृत रंजन गोगोई के रूप में बेशर्म और अपमानजनक नहीं देखा था। शायद ही कोई बुराई हो जो जो इस आदमी में नहीं थी और अब यह बदमाश भारतीय संसद को बनने जा रहा है।

वहीं, जस्टिस जोसफ ने गोगोई और दो अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों जे। चेलमेश्वर और मदन बी लोकुर (अब सभी सेवानिवृत्त) के साथ 12 जनवरी 2018 को संवाददाता सम्मेलन करके तत्कालीन सीजेआई के तहत उच्चतम न्यायालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे। 

जोसफ ने कहा कि गोगोई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता के ‘‘सिद्धांतों से समझौता’’ किया है। उन्होंने हैरानी जताई और कहा कि गोगोई द्वारा इस मनोनयन को स्वीकार किये जाने ने न्यायापालिका में आम आदमी के विश्वास को हिला कर रख दिया है। पत्रकारों ने जब जोसफ से इस बारे में प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने आरोप लगाया कि गोगोई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता व निष्पक्षता के ‘पवित्र सिद्धांतों से समझौता’ किया। पूर्व न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मेरे मुताबिक, राज्यसभा के सदस्य के तौर पर मनोनयन को पूर्व प्रधान न्यायाधीश द्वारा स्वीकार किये जाने ने निश्चित रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आम आदमी के भरोसे को झकझोर दिया है।’’

 उन्होंने कहा कि न्यायपालिका भारत के संविधान के मूल आधार में से एक है। जोसफ ने इस संवाददाता सम्मेलन के संदर्भ में कहा, ‘‘मैं हैरान हूं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिये कभी ऐसा दृढ़ साहस दिखाने वाले न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कैसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के पवित्र सिद्धांत से समझौता किया है।’’

दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ए पी शाह और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर एस सोढ़ी ने भी सरकार द्वारा गोगोई के नामांकन पर तीखी प्रतिक्रिया जताई। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सोढ़ी ने कहा कि न्यायाधीश को कभी भी सेवानिवृत्त नहीं होना चाहिए या सेवानिवृत्ति के बाद कभी भी पद नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा हमेशा विचार रहा है कि न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद कभी भी नौकरी स्वीकार नहीं करनी चाहिए। 

न्यायाधीशों को इतना मजबूत होना चाहिए कि अपनी स्वतंत्रता को बचाए रखें ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता कमतर नहीं हो।’’ न्यायमूर्ति सोढ़ी ने कहा, ‘‘समाधान आपकी अपनी ईमानदारी है। न्यायाधीश को कभी सेवानिवृत्त नहीं होना चाहिए। सेवानिवृत्ति के बाद लाभ स्वीकार करने का सवाल ही नहीं है।’’ 

भारत के विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष ने एक वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में कथित तौर पर कहा कि न्यायमूर्ति गोगोई को राज्यसभा में मनोनीत किया जाना ‘‘स्पष्ट रूप से बदले में लाभ दिए जाने की तरह है।’’ जोसफ ने कहा कि उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद कोई भी पद नहीं लेने का निर्णय किया था। 

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर ने कहा कि गोगोई जब मीडिया में राज्यसभा की सीट स्वीकार करने के बारे में अपना विस्तृत बयान देंगे उसके बाद ही वह अपने विचार व्यक्त करेंगे। गोगोई के मनोनयन पर राजनीतिक वर्गों एवं अन्य क्षेत्रों में बहस चल रही है जो 13 महीने तक भारत का प्रधान न्यायाधीश रहने के बाद पिछले वर्ष नवम्बर में सेवानिवृत्त हुए थे। गोगोई उन पीठों के प्रमुख रहे जिसने संवेदनशील अयोध्या भूमि विवाद सहित कई महत्वपूर्ण फैसले दिए। सरकार ने सोमवार को उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। 

Web Title: Justice Markandey Katju on former CJI Ranjan Gogoi sent to Rajya Sabha, justice jospeh many other judges also gave such response

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