हास्य कलाकार मुनव्वर फारुकी के चार साथियों की न्यायिक हिरासत 24 फरवरी तक बढ़ी
By भाषा | Updated: February 10, 2021 20:55 IST2021-02-10T20:55:08+5:302021-02-10T20:55:08+5:30

हास्य कलाकार मुनव्वर फारुकी के चार साथियों की न्यायिक हिरासत 24 फरवरी तक बढ़ी
इंदौर (मध्यप्रदेश), 10 फरवरी हास्य कलाकार मुनव्वर फारुकी के साथ यहां नववर्ष पर एक विवादास्पद कार्यक्रम के आयोजन में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार चार लोगों की न्यायिक हिरासत की मियाद जिला अदालत ने बुधवार को 24 फरवरी तक बढ़ा दी।
राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा की एक महिला विधायक के बेटे ने इस कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गोधरा कांड को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियों का आरोप लगाते हुए एक जनवरी की रात प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
अभियोजन पक्ष के एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले में गिरफ्तारी के बाद केंद्रीय जेल में बंद नलिन यादव (25), सदाकत खान (23), एडविन एंथोनी (25) और प्रखर व्यास (23) को एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) के सामने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश किया गया।
उन्होंने बताया कि सीजेएम ने चारों आरोपियों की न्यायिक हिरासत की अवधि 24 फरवरी तक बढ़ा दी।
गौरतलब है कि मामले के मुख्य आरोपी मुनव्वर फारुकी को उच्चतम न्यायालय ने पांच फरवरी को अंतरिम जमानत दे दी थी। इसके बाद 32 वर्षीय हास्य कलाकार को यहां बेहद नाटकीय घटनाक्रम के दौरान केंद्रीय जेल से छह फरवरी की देर रात मीडिया की निगाहों से बचाते हुए रिहा किया गया था।
अभियोजन के अधिकारी के मुताबिक मामले की सुनवाई के दौरान फारुकी की ओर से सीजेएम के सामने आवेदन पेश किया गया जिसमें उसने अचानक एक आवश्यक कार्य आ जाने का हवाला देते हुए बुधवार को व्यक्तिगत पेशी से छूट की अनुमति चाही। अदालत ने इस आवेदन को मंजूर कर लिया।
शहर के एक कैफे में एक जनवरी की शाम आयोजित विवादास्पद कार्यक्रम को लेकर फारुकी समेत पांच लोगों को इसी तारीख की रात गिरफ्तार किया गया था। इनमें से एक आरोपी नाबालिग निकला था। उसे मामले में बाल न्यायालय से पहले ही जमानत मिल चुकी है।
मामले के छह आरोपियों में शामिल सदाकत खान को दो जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। सत्र न्यायालय ने नियमित जमानत के लिए खान की दूसरी अर्जी मंगलवार (नौ फरवरी) को खारिज कर दी थी।
मामले में न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद अन्य आरोपियों की जमानत अर्जियां अलग-अलग न्यायालयों में लंबित हैं।
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