न्यायाधीशों को अपने निर्णयों व आदेशों के जरिए बोलना चाहिए, मौखिक निर्देश से नहीं : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: August 31, 2021 17:45 IST2021-08-31T17:45:50+5:302021-08-31T17:45:50+5:30

Judges should speak through their judgments and orders, not by verbal instructions: Supreme Court | न्यायाधीशों को अपने निर्णयों व आदेशों के जरिए बोलना चाहिए, मौखिक निर्देश से नहीं : उच्चतम न्यायालय

न्यायाधीशों को अपने निर्णयों व आदेशों के जरिए बोलना चाहिए, मौखिक निर्देश से नहीं : उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि न्यायाधीशों को अपने निर्णयों और आदेशों के माध्यम से बोलना चाहिए और मौखिक निर्देश जारी नहीं करने चाहिए क्योंकि यह न्यायिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है इसलिए इससे बचना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब मौखिक निर्देश दिए जाते हैं तो न्यायिक जवाबदेही का तत्व समाप्त हो जाता है और यह एक घातक दृष्टांत बनाएगा जो अस्वीकार्य है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक फैसले के खिलाफ अपील पर दिए गए निर्णय में यह टिप्पणी की, जिसमें धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार नहीं करने का मौखिक निर्देश जारी किया गया था। पीठ ने कहा, '' अदालत में मौखिक टिप्पणियां न्यायिक बहस के दौरान होती हैं। एक लिखित आदेश, बाध्यकारी और लागू करने योग्य होता है। गिरफ्तारी से रोकने के लिए मौखिक निर्देश जारी करना (सरकारी अभियोजक को) न्यायिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनता और इससे बचना चाहिए।'' शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रतिवादी की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा मौखिक निर्देश जारी करने की प्रक्रिया अनियमित थी। पीठ ने कहा कि यदि उच्च न्यायालय का विचार था कि पक्षकारों के वकीलों को समझौते की संभावना तलाशने का अवसर दिया जाना चाहिए और उस आधार पर गिरफ्तारी के खिलाफ अंतरिम संरक्षण दिया जाना चाहिए, तो इसके लिए एक विशिष्ट न्यायिक आदेश की आवश्यकता थी। शीर्ष अदालत सलीमभाई हमीदभाई मेनन द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने धोखाधड़ी और आपराधिक आपराधिक विश्वासघात समेत अन्य धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले के उच्च न्यायालय में विचाराधीन रहने के दौरान मेनन को गिरफ्तार कर लिया गया था। जब गिरफ्तारी के बाद सुनवाई की गई, तो उच्च न्यायालय का विचार था कि पक्षकारों के वकीलों को समझौते की संभावना का पता लगाने का अवसर दिया जाना चाहिए और उस आधार पर गिरफ्तारी के खिलाफ अंतरिम संरक्षण प्रदान किया गया था।

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Web Title: Judges should speak through their judgments and orders, not by verbal instructions: Supreme Court

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