जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) परिसर में हुई हिंसा के खिलाफ तमाम देशों के 250 वरिष्ठ शिक्षाविदों व विश्वविद्यालय प्रशासकों ने विश्वविद्याल के कुलपति जगदीश कुमार के तत्काल इस्तीफे की मांग की है। बता दें कि जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली सहित देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है और हंगामा बरपा है।
जेएनयू के कुलपति के इस्तीफे की मांग करने वाले हस्ताक्षरकर्ता में अमेरिका, कनाडा, यूके, जर्मनी, नॉर्वे, फ्रांस, इटली, डेनमार्क, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड, चिली, मैक्सिको, अर्जेंटीना, ताइवान, ग्रीस, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, स्पेन, ब्राजील, पुर्तगाल और न्यूजीलैंड इत्यादि के विश्वविद्यालय हैं।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि जो घटना 6 जनवरी को हुई थी उसमें हथियारों से लैस और राजनीतिक रूप से प्रेरित भीड़ को जेएनयू परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी। इस घटना ने लोकतंत्र के मूल्यों का उल्लंघन किया। साथ ही साथ अकादमिक स्वतंत्रता के मानदंडों का भी उल्लंघन किया गया। उन्होंने कहा कि जेएनयू कुलपति ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता को खो दिया है।
बता दें कि जेएनयू परिसर में रविवार को नकाबपोश लोगों की भीड़ ने घुसकर तीन छात्रावासों में छात्रों पर हमला किया। लाठी, लोहे की छड़ हाथ में लिये इन हमलावरों ने शिक्षकों पर भी हमला किया तथा संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया। पुलिस अधिकारियों के अनुसार उन्हें इस पूरे घटनाक्रम से जुड़ी 11 शिकायतें मिली हैं जिनमें एक शिकायत एक प्रोफेसर ने दर्ज कराई है।
परिसर में हिंसा के दौरान कार्रवाई नहीं करने को लेकर पुलिस की भी आलोचना हुई। तोड़फोड़ के मामले में दर्ज दो प्राथमिकियों में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत अन्य यूनियन नेताओं को नामजद करने पर भी पुलिस आलोचनाओं के घेरे में है। मामले में किसी को भी आरोपी के तौर पर नामजद नहीं किया गया है।
जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार विश्वविद्यालय परिसर में रविवार को भड़की हिंसा पर कार्रवाई नहीं होने के मामले में लगातार आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उन्हें परिसर में स्थिति सामान्य करने के लिए कदम उठाने का परामर्श दिया।
भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच परिसर में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। रविवार की हिंसा के बाद बड़ी संख्या में छात्र परिसर में नहीं आ रहे हैं। परिसर में वैध परिचय पत्र के साथ छात्रों को ही प्रवेश की अनुमति दी जा रही है।