जेएनयू के कुलपति ने अपने आलोचकों को जमीनी हकीकत से अनजान करार दिया
By भाषा | Updated: September 10, 2021 22:20 IST2021-09-10T22:20:55+5:302021-09-10T22:20:55+5:30

जेएनयू के कुलपति ने अपने आलोचकों को जमीनी हकीकत से अनजान करार दिया
नयी दिल्ली, 10 सितंबर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति एम जगदीश कुमार ने कार्यकारी परिषद की बैठक में पर्याप्त चर्चा नहीं करने का आरोप लगाने वाले शिक्षकों के वर्ग को शुक्रवार को ‘‘जमीनी हकीकत से अनजान आलोचक’’ करार दिया।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में निर्णय वैधानिक निकायों द्वारा सामूहिक रूप से लिए जाते हैं और उनकी आलोचना से इसकी छवि प्रभावित हो रही है।
कुलपति की यह टिप्पणी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) के आरोपों के मद्देनजर आई है कि कार्यकारी परिषद की बैठकों में कोई महत्वपूर्ण चर्चा नहीं होने दी गई।
शिक्षक निकाय ने विश्वविद्यालय में एक मेडिकल स्कूल स्थापित करने के निर्णय के अनुमोदन की भी आलोचना की।
आलोचनाओं का जवाब देते हुए कुमार ने कहा, ''मेडिकल स्कूल की स्थापना हो या आतंकवाद विरोधी पाठ्यक्रम पेश किया जाना हो, जिन निर्णयों की आलोचना की जा रही है उन सभी पर अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद द्वारा चर्चा की गई है। उनकी कोई भी आलोचना निराधार है। ''
उन्होंने कहा, ''स्कूल ऑफ मेडिसिन की स्थापना के लिए काफी जमीनी काम किया गया है और यह विश्वविद्यालय के नियमों के अनुरूप है।''
जेएनयूटीए ने आरोप लगाया है कि कार्यकारी परिषद की बैठक में नए स्नातक कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए मंजूरी दी गई है, जिससे विश्वविद्यालय का स्नातकोत्तर शोध चरित्र नष्ट हो जाएगा।
कुलपति ने जवाब में कहा कि ''हमारे कुछ सहयोगी विश्वविद्यालय की छवि को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं''
कुलपति ने उन्हें जमीनी हकीकत से अनजान आलोचक करार दिया।
उन्होंने कहा, "कुछ नकारात्मक सोच वाले लोग नयी शिक्षा नीति और स्नातक पाठ्यक्रमों के कार्यान्वयन का विरोध कर रहे हैं। विश्वविद्यालय के भाषा विद्यालय में पहले से ही कई स्नातक पाठ्यक्रम चल रहे हैं। हो सकता है कि ये शिक्षक अतिरिक्त शिक्षण भार ग्रहण करने के इच्छुक न हों। यह एक कारण हो सकता है कि वे नए स्नातक पाठ्यक्रमों की आचोलना कर रहे हैं।''
कुलपति ने कहा, ''कुछ लोग कह रहे हैं कि भूमि हरित क्षेत्र में है और आप बहुत अधिक निर्माण नहीं कर सकते। हमारे पास एक दृष्टिगत योजना है और हमने भवनों के लिए 200 एकड़ से अधिक भूमि निर्धारित की है। क्या वे विश्वविद्यालय की दृष्टि का विरोध कर रहे हैं?''
इस आरोप के बारे में कि परिषद की बैठकों में कोई चर्चा नहीं होने दी जा रही है, जेएनयू के कुलपति ने कहा कि सभी निर्णयों पर विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद में चर्चा की जाती है।
उन्होंने कहा कि अकादमिक परिषद में विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि और यहां तक कि एक बाहरी सदस्य भी होता है और वहां मुद्दों पर चर्चा की जाती है। फिर कार्यकारी परिषद में मुद्दों पर चर्चा के बाद अनुमोदन किया जाता है।
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