जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( JNU) में देशविरोधी नारे लगाए जाने के मामले में कन्हैया कुमार समेत उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य और सात कश्मीरी के खिलाफ बिना दिल्ली सरकार से मंजूरी लिए चार्जशीट दायर करने पर दिल्ली पुलिस को कोर्ट ने फटकार लगाई है। इसके साथ कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट को भी जमा लेने से इंकार कर दिया है। दिल्ली कोर्ट पूरे मामले को 6 फरवरी तक सुलझाएगी।
कोर्ट ने शनिवार 19 जनवरी को दिल्ली सरकार से दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 196 के तहत आवश्यक प्रतिबंधों की खरीद के बिना आरोप पत्र दाखिल करने पर सवाल उठाया। कोर्ट ने यह कहा, राजद्रोह के मामलों में अनुमति लेना अनिवार्य है। कोर्ट ने यह भी कहा, जब तक दिल्ली सरकार चार्जशीट दायर करने की मंदूरी नहीं देती, तब तक हम इस पर संज्ञान नहीं लेंगे। कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट पर पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी और इस पर पुलिस ने कहा है कि वह दिस दिनों के भीतर मंजूरी ले लेगी।
कोर्ट ने पूछा जब आपके पास लीगल डिपार्टमेंट की मंजूरी नहीं है, तो फिर बिना मंजूरी के आपने चार्जशीट फाइल क्यों की? बातदें कि देशद्रोह के मामले में सीआरपीसी के सेक्शन 196 के तहत जब तक सरकार मंजूरी नहीं दे देती, तब तक कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान नहीं ले सकता।
क्या था पूरा मामला
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( JNU) में 9 फरवरी 2016 में एक कार्यक्रम के दौरान कथित देशविरोधी नारे लगाए जाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। दरअसल, जेएनयू मामले में कन्हैया कुमार व अन्य के खिलाफ दायर चार्जशीट के लिए दिल्ली सरकार ने अब तक दिल्ली पुलिस को अनुमति नहीं दी है।