केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में रविवार की शाम हुई हिंसा की निंदा की। दोनों ही मंत्री जेएनयू के पूर्व छात्र हैं। सीतारमण ने कहा कि सरकार चाहती है कि विश्वविद्यालय छात्रों के लिए सुरक्षित स्थान रहें।
जयशंकर ने ट्वीट किया, “जेएनयू में जो हुआ उसकी तस्वीरें देखीं। हिंसा की स्पष्ट तौर पर निंदा करते हैं। यह विश्वविद्यालय की संस्कृति एवं परंपरा के पूरी तरह खिलाफ है।”
सीतारमण ने ट्वीट किया, “जेएनयू से बहुत ही खौफनाक तस्वीरें सामने आईं हैं - वह जगह जिसे मैं जानती हूं और ऐसी जगह के तौर पर याद करती हूं जिसे निर्भीक चर्चाओं एवं विचारों के लिए याद किया जाता था, लेकिन हिंसा कभी नहीं। मैं आज हुई हिंसा की स्पष्ट तौर पर निंदा करती हूं। यह सरकार, पिछले कुछ हफ्तों में जो कुछ कहा गया उसके बावजूद, चाहती है कि विश्वविद्यालय सभी छात्रों के लिए सुरक्षित रहें।”
वाम नियंत्रित जेएनयू छात्र संघ और एबीवीपी ने हिंसा के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया जो करीब दो घंटे तक जारी रही। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष के सिर पर चोट आई है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा, ''मुखौटा लगाए हुए कुछ लोगों का समूह जेएनयू में घुस गया और उन्होंने वहां पथराव किया, छात्रों पर हमला किया और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।'' मंत्रालय ने आगे कहा, ''हिंसा के कृत्यों और अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जेएनयू की घटना दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद निंदनीय।''
इस बीच कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा एम्स पहुंचीं, जेएनयू के घायल छात्रों से मुलाकात की।
एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जेएनयू हिंसा पर कहा, ''मैं सभी छात्रों से विश्वविद्यालय की गरिमा और परिसर में शांति बनाए रखने की अपील करता हूं।''
जेएनयू हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदिरा जयसिंह ने प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे से गुहार लगाई है कि वह इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर पुलिस को निर्देश दें। इंदिया जयसिंह ने ट्वीट में लिखा, '' ''भारत के प्रधान न्यायाधीश कृपया जेएनयू के भीतर हुई हिंसा को लेकर स्वत: संज्ञान लें और पुलिस आयुक्त को समन जारी करें और पुलिस को निर्देश दें कि वह लोहे की सलाखें लिए नकाबपोश गुंडों को गिरफ्तार करे और छात्रों-अध्यापकों और स्टाफ की जिंदगी और स्वतंत्रता की रक्षा करे।''