'लड़कियों को पता होना चाहिए....',जेएनयू के सर्कुलर पर मचा विवाद, आखिर क्या है पूरा मामला, जानिए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 29, 2021 07:50 IST2021-12-29T07:43:13+5:302021-12-29T07:50:43+5:30

JNU की आंतरिक शिकायत समिति ने यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर यह सर्कुलर डाला है जिसमें कहा गया है कि वह 17 जनवरी को यौन उत्पीड़न विषय पर परामर्श सत्र का आयोजन करेगी। हालांकि, इसमें इस्तेमाल शब्दों पर विवाद पैदा हो गया है।

JNU circular for session on sexual harassment criticised for words used in it | 'लड़कियों को पता होना चाहिए....',जेएनयू के सर्कुलर पर मचा विवाद, आखिर क्या है पूरा मामला, जानिए

जेएनयू के सर्कुलर पर विवाद (फाइल फोटो)

Highlightsयौन उत्पीड़न पर काउंसलिंग सत्र में भाग लेने के लिए जारी सर्कुलर में इस्तेमाल शब्दों पर विवाद।जेएनयू की आंतरिक शिकायत समिति ने विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर डाला था यह सर्कुलर।सर्कुलर में लड़कियों को 'नसीहत' देने संबंधी बातों पर छात्र संगठनों ने जताया है विरोध।

नई दिल्ली: जेएनयू एक बार फिर विवादों में है। दरअसल, यौन उत्पीड़न पर काउंसलिंग सत्र में भाग लेने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) द्वारा जारी किए गए सर्कुलर को लेकर यह विवाद है। इस सर्कुलर में एक जगह लिखा गया है,  'लड़कियों से यह उम्मीद की जाती है कि उन्हें पता होना चाहिए कि अपने और अपने पुरूष मित्रों के बीच दायरा कैसे तय करना है।'

छात्र संगठनों एवं अध्यापकों ने ऐसे शब्दों की निंदा की है और कहा है कि इससे पीड़िता को शर्मसार करने की बू आती है। बहरहाल, सर्कुलर में शब्दों के चयन को लेकर विवाद खड़ा होने के अगले दिन विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति की पीठासीन अधिकारी ने कहा कि सभी का किसी भी बात को देखने का अपना दृष्टिकोण होता है।

17 जनवरी को यौन उत्पीड़न पर काउंसलिंग सत्र

जेएनयू की आंतरिक शिकायत समिति ने विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर यह सर्कुलर डाला है जिसमें कहा गया है कि वह 17 जनवरी को यौन उत्पीड़न विषय पर परामर्श सत्र का आयोजन करेगी। उसने यह भी कहा था कि ऐसा सत्र हर महीने आयोजित किया जाएगा।

इस सर्कुलर में यह भी बताया गया है कि ऐसे सत्र की जरूरत क्यों हैं। इस संबंध में सर्कुलर में लिखा गया है कि इससे स्टूडेंट यह जान सकेंगे कि यौन उत्पीड़न क्या होता है।

समिति की पीठासीन अधिकारी ने कहा, ‘हमारे पास जो मामले आते हैं, उनमें से कई ऐसे होते हैं जहां पुरूष और महिला करीबी दोस्त होते हैं। ऐसे में अगर महिला को उसे जिस तरह से स्पर्श किया जा रहा है, वह सही नहीं लग रहा है तो उसे ‘ना’ कहीना चाहिए। यह बात अपने मन में नहीं रखनी चाहिए। लोग दोस्त बनने के बाद संबंध बनाते हैं। यदि उन्हें स्पर्श पसंद नहीं आ रहा हो तो, स्पष्ट कहना चाहिए।’

उन्होंने कहा कि पुरूष यौन उत्पीड़न के परिणाम के बारे में परिचित नहीं होते हैं और इस परामर्श सत्र में उन्हें बताया जाएगा कि यदि वे मना करने के बाद भी किसी को असहज कर दे रहे हैं या अनपयुक्त ढंग से स्पर्श कर रहे हैं तो उसके क्या परिणाम हो सकते हैं।

'चीजों को देखने का सभी का अपना नजरिया' 

सर्कुलर में इस्तेमाल शब्दों पर विवाद और आलोचना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘सभी का चीजें को देखने का अपना नजरिया और तरीका होता है। वे परामर्श सत्र को सकारात्मक ढंग से देख सकते हैं और उन्हें नजर आ सकता है कि ऐसा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।’

इससे पहले मंगलवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने विश्वविद्यालय द्वारा जारी किये गये ‘महिला-द्वेषी’ परिपत्र वापस लेने की मांग की थी।

शर्मा ने इस निमंत्रण को टैग करते हुए ट्वीट किया था, ‘हमेशा सारे उपदेश लड़कियों के लिए क्यों होते हैं? उत्पीड़न करने वालों को, न कि पीड़िता को सिखाने का समय है। जेएनयू का महिला -द्वेषी परिपत्र वापस लिया जाना चाहिए। आंतरिक समिति को पीड़िता केंद्रित रूख रखना चाहिए। अन्यथा नहीं।'

(भाषा इनपुट)

Web Title: JNU circular for session on sexual harassment criticised for words used in it

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