जम्मू कश्मीर: गार्डन में लाखों ट्यूलिप और बादामबाड़ी में बादाम के पेड़ों पर खिले फूल लेकिन निहारने वाला कोई नहीं

By सुरेश एस डुग्गर | Published: April 1, 2020 07:19 AM2020-04-01T07:19:57+5:302020-04-01T07:19:57+5:30

बादामबाड़ी में बादामों के पेड़ों पर फूल मार्च के शुरू में ही आने लगते हैं और ट्यूलिप गार्डन में मार्च के अंतिम सप्ताह में। बादामबाड़ी में पहले सप्ताह में दो-चार सौ पर्यटक जरूर पहुंचे थे पर ट्यूलिप गार्डन की किस्मत में ऐसा नहीं था जो मार्च के अंतिम सप्ताह में खोला जाना था पर अभी तक खोला नहीं जा सका। ऐसे में दुखद पहलू ट्यूलिप गार्डन का यही कहा जा सकता है कि इस बार ट्यूलिपों को खिलता हुआ शायद ही कोई देख पाए।

J&K: lakhs of tulips Flowers bloom in garden and almond trees, But nobody to see | जम्मू कश्मीर: गार्डन में लाखों ट्यूलिप और बादामबाड़ी में बादाम के पेड़ों पर खिले फूल लेकिन निहारने वाला कोई नहीं

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

Highlightsजम्मू कश्मीर के इतिहास में यह शायद पहला मौका है कि एशिया के दूसरे नम्बर के ट्यूलिप गार्डन में लाखों ट्यूलिप खिले हुए हैं पर उन्हें निहारने वाला कोई नहीं है।यही हालत बादामबाड़ी की है जहां बादाम के पेड़ों पर आई बहार को कोरोना की दहशत लील चुकी है।

जम्मू कश्मीर के इतिहास में यह शायद पहला मौका है कि एशिया के दूसरे नम्बर के ट्यूलिप गार्डन में लाखों ट्यूलिप खिले हुए हैं पर उन्हें निहारने वाला कोई नहीं है। यही हालत बादामबाड़ी की है जहां बादाम के पेड़ों पर आई बहार को कोरोना की दहशत लील चुकी है।

बादामबाड़ी में बादामों के पेड़ों पर फूल मार्च के शुरू में ही आने लगते हैं और ट्यूलिप गार्डन में मार्च के अंतिम सप्ताह में। बादामबाड़ी में पहले सप्ताह में दो-चार सौ पर्यटक जरूर पहुंचे थे पर ट्यूलिप गार्डन की किस्मत में ऐसा नहीं था जो मार्च के अंतिम सप्ताह में खोला जाना था पर अभी तक खोला नहीं जा सका। ऐसे में दुखद पहलू ट्यूलिप गार्डन का यही कहा जा सकता है कि इस बार ट्यूलिपों को खिलता हुआ शायद ही कोई देख पाए।

दरअसल देश मे लॉकडाउन से कई दिन पहले ही जम्मू कश्मीर में बाग बगीचों को बंद कर दिया गया था। जानकारी के लिए अगर देश में लॉकडाउन का आज 7वां दिन था कश्मीर में कोरोना की दहशत के कारण 13 दिनों से ही कर्फ्यू लगाया जा चुका था। यही कारण था कि ट्यूलिप गार्डन में खिलने वाले ट्यूलिप के फूलों और बादामबाड़ी में बादामों के पेड़ों पर खिलने वाले फूलों को निहारने वाले बंद कमरों से सिर्फ खुदा से कोरोना से निजात पाने की दुआएं ही कर रहे थे।

ट्यूलिप गार्डन

डल झील का इतिहास तो सदियों पुराना है। पर ट्यूलिप गार्डन का मात्र 11 साल पुराना। मात्र 11 साल में ही यह उद्यान अपनी पहचान को कश्मीर के साथ यूं जोड़ लेगा कोई सोच भी नहीं सकता था। डल झील के सामने के इलाके में सिराजबाग में बने ट्यूलिप गार्डन में ट्यूलिप की 55 से अधिक किस्में आने-जाने वालों को अपनी ओर आकर्षित किए बिना नहीं रहती हैं। यह आकर्षण ही तो है कि लोग बाग की सैर को रखी गई फीस देने में भी आनाकानी नहीं करते। जयपुर से आई सुनिता कहती थीं कि किसी बाग को देखने का यह चार्ज ज्यादा है पर भीतर एक बार घूमने के बाद लगता है यह तो कुछ भी नहीं है।

सिराजबाग हरवान-शालीमार और निशात चश्माशाही के बीच की जमीन पर करीब 700 कनाल एरिया में फैला हुआ है। यह तीन चरणों का प्रोजेक्ट है जिसके तहत अगले चरण में इसे 1360 और 460 कनाल भूमि और साथ में जोड़ी जानी है।  शुरू-शुरू में इसे शिराजी बाग के नाम से पुकारा जाता था। असल में महाराजा के समय उद्यान विभाग के मुखिया के नाम पर ही इसका नामकरण कर दिया गया था।

बादामबाड़ी

एक जमाने में धूम मचाने वाला य्ाह ऐतिहासिक बाग तकरीबन 27 साल तक सही देखरेख न मिलने के कारण अपनी साख खो चुका था, य्ाहां तक कि उस समय्ा की सरकार की गलत नीतिय्ाों के कारण बादामवाड़ी जो 27 वर्ष पहले 750 कनाल जमीन पर फैली थी सिमटते-सिमटते केवल 280 कनाल तक ही सीमित रह गई क्य्ाोंकि सरकार ने वहां पर तिब्बती कालोनी का निर्माण किय्ाा। इसको नए सिरे से सजाने संवारने के लिए जेके बैंक ने इसके निर्माण की जिम्मेदारी संभाली थी। वर्ष 2006 में इसका दोबारा निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था।

तकरीबन 280 कनाल तक फैले हुए इस बाग को बड़ों के साथ-साथ बच्चों के आकर्षण केलिए  हर सामान से सजाया गया है। जिसमें एक किमी लंबा जौगर, तकरीबन तीस मीटर ऊंचा बादाम के आकार का फव्वारा भी शामिल है। इस अवसर पर यादें ताजा करते हुए लोगों का कहना था कि बादामवाड़ी केवल एक पर्यटन स्थल ही नहीं, बल्कि इसके साथ हमारा इतिहास भी जुड़ा है। य्ो जगह हमारी परंपरा का प्रतीक भी है।

Web Title: J&K: lakhs of tulips Flowers bloom in garden and almond trees, But nobody to see

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