Jharkhand Results: जानें कौन है CM रघुवर दास को चुनौती देने वाले सरयू राय, जिन्होंने पलट के रख दिया BJP का सारा खेल
By स्वाति सिंह | Published: December 23, 2019 02:38 PM2019-12-23T14:38:27+5:302019-12-23T14:38:27+5:30
सरयू राय ने 1994 में सबसे पहले पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था। बाद में इस घोटाले की सीबीआइ जांच हुई। राय ने घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने को उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक संघर्ष किया।
झारखंड विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ा उलटफेर करते हुए सातवें चरण की मतगणना के बाद बीजेपी के विद्रोही उम्मीदवार सरयू राय ने जमशेदपुर (पूर्व) सीट पर मुख्यमंत्री रघुबर दास को लगभग सात सौ मतों से पीछे छोड़ दिया है। सातवें चरण से पहले तक कुछ मतों से मुख्यमंत्री रघुबर दास ने बढ़त बना रखी थी। सातवें चरण में वह अपने ही मंत्रिमंडल के सहयोगी रहे सरयू राय से सात सौ से अधिक मतों से पिछड़ गये। झारखंड के पूर्व मंत्री सरयू राय ने जमशेदपुर (पूर्व) सीट से टिकट न मिलने पर रघुबर दास मंत्रिमंडल और फिर भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। राय ने 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर (पूर्व) सीट जीती थी।
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को चुनौती देने वाले नेता सरयू राय को उनके सिद्धांतों और शर्तों पर सियासत करने वाली हस्ती के रूप में जाना जाता है। इस बार सरयू जमशेदपुर पूर्वी सीट से सीधे तौर पर सीएम रघुवर के खिलाफ उतरे थे। बता दें कि इस बार विधानसभा चुनाव में सरयू राय का टिकट बीजेपी ने काट दिया था। इसके बाद उन्होंने विधायक और मंत्रीपद से इस्तीफा देकर रघुबर दास के खिलाफ लड़ने का फैसला किया।
सरयू राय ने 1994 में सबसे पहले पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था। बाद में इस घोटाले की सीबीआइ जांच हुई। राय ने घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने को उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक संघर्ष किया। नतीजन राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत दर्जनों राजनीतिक नेताओं और अफसरों को जेल जाना पड़ा। इसके अलावा झारखंड के खनन घोटाले को उजागर करने में सरयू राय की अहम भूमिका रही। इतने घोटालों के पर्दाफाश के बाद तो सरयू राय का नाम भ्रष्ट अधिकारियों के लिए खौफ का नाम बना। 16 जुलाई 1951 को बिहार के बक्सर में जन्मे राय छात्र राजनीति से ही देश की राजनीति में आए। बिहार की यूनिवर्सिटी में पढ़े सीएम नीतिश कुमार सरयू राय सहपाठी रह चुके हैं।