झारखंड चुनाव: गठबंधन टूटने के बाद भाजपा से नाराज कई नेता गये आजसू के शरण में, तमाम दलों में असंतुष्ट नेताओं ने बढ़ाई चिंता
By एस पी सिन्हा | Updated: November 13, 2019 08:55 IST2019-11-13T04:38:02+5:302019-11-13T08:55:06+5:30
झारखंड विधानसभा चुनाव: सीट शेयरिंग पर पेंच फंसने के बाद आजसू ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ लिया है. आजसू ने 12 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान भी कर दिया है. इनमें से कई सीटों पर उसने बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं.

Sudesh Mahto
झारखंड में भाजपा और आजसू पार्टी का वर्षों पुराना गठबंधन आखिरकार ही टूट गया. आजसू पार्टी ने सोमवार को 12 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी. झारखंड विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर जारी घमासान के बीच जब कुछ सीटों की स्थिति साफ हुई है और कई विधायकों का टिकट कटा है तो असंतुष्ट नेताओं के बागी तेवर सामने आ रहे हैं. भाजपा, कांग्रेस सहित तमाम दलों में असंतुष्ट नेताओं ने एकबारगी अपनी गतिविधियां बढा दी हैं. आज कई दलों के असंतुष्ट नेताओं ने आजसू का दामन थाम लिया हैं. इसतरह सत्ताधारी राजग का कुनबा बिखरता नजर आ रहा है.
बता दें कि बिहार में भाजपा की सहयोगी जदयू झारखंड में विधानसभा चुनाव अकेले लड़ रही है. भाजपा की सहयोगी आजसू ने भी साथ छोड़कर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. अब लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी अलग राह पकड़ ली है. उन्होंने एलान किया है कि झारखंड में लोजपा 50 सीटों पर चुनाव लडेगी. लोजपा अध्यक्ष ने दो टूक शब्दों में कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव में लोजपा अपने दम पर चुनाव लडे़गी.
राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि आजसू सिद्धांतों वाली पार्टी है
उन्होंने कहा कि राज्य में लोजपा 50 सीटों पर प्रत्याशी खड़ा करेगी. वहीं, आजसू में शामिल हुए राधाकृष्ण किशोर ने आज कहा कि आजसू को सिद्धांतों वाली पार्टी बताया और उन्होंने कहा कि मेरे क्षेत्र में लोग मुझसे यह सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर भाजपा ने मुझे टिकट क्यों नहीं दिया? उनके बाद बोलते हुए सुदेश महतो ने उनका पार्टी में स्वागत किया और कहा कि हम राज्य के आवाम की तरक्की के लिए काम कर रहे हैं. भाजपा के साथ गठबंधन पर सुदेश महतो ने कहा कि अभी हम इस मुद्दे पर बात नहीं करना चाहते हैं. सीटों को लेकर अभी बातचीत हो रही है और हमने जिन क्षेत्रों में हमारा नेतृत्व है, हम वहां टिकट चाहते हैं. गठबंधन में सीट शेयरिंग पर बातचीत होती है उसके बाद प्रत्याशियों का नाम आता है. हमारी बातचीत हो रही है पहले सूची सहयोगी की तरह से आई है, उसके बाद हमारी सूची आई है.
आजसू का दामन थामने के बाद राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि पहले वो फूल के साथ थे, अब फल के साथ हो गये हैं
उल्लेखनीय है कि छतरपुर से टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा विधायक राधाकृष्ण किशोर ने आजसू का दामन थाम लिया है. अब आजसू के टिकट पर वो यहां से चुनाव लडे़ंगे. इसके लिए उन्होंने नामांकन पत्र खरीद लिया है. कल वो नामांकन दाखिल करेंगे. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने उन्हें पार्टी में शामिल कराया. आजसू का दामन थामने के बाद राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि पहले वो फूल के साथ थे, अब फल के साथ हो गये हैं. भाजपा छोड़ने के सवाल पर बोले कि जहां निष्ठा एवं समर्पण की कद्र न हो, वहां से निकलना ही बेहतर है. राधाकृष्ण किशोर के आजसू में शामिल होने के बाद अब छतरपुर सीट पर भी भाजपा और आजसू के उम्मीदवार आमने-सामने होंगे. भाजपा ने यहां उनका टिकट काटकर पुष्पा देवी को उम्मीदवार बनाया है.
बता दें कि राधाकृष्ण किशोर भाजपा से पहले कांग्रेस, राजद और जदयू में रहे चुके हैं. उनके अलावा झामुमो के पूर्व विधायक अकील अख्तर भी कल आजसू का दामन थामेंगे. तिलेश्वर साहू की पत्नी साबी देवी भी यहां पहुंचीं. इन्हें कांग्रेस ने बरही से टिकट नहीं दिया है. साबी देवी को भी बरही से आजसू पार्टी टिकट दे रही है. साबी ने कहा, गलती हुई थी कि आजसू छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे.
भाजपा नेता गिरिनाथ सिंह सहित कई बडे़ नेता सुदेश महतो से मिले थे
वहीं, भाजपा की नेत्री आरती कुजूर भी टिकट की आस में सुदेश महतो के आवास पहुंची. वह राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष हैं. यहां चुपके-चुपके सुदेश महतो से मिलने लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष कडिया मुंडा के छोटे पुत्र अमरनाथ मुंडा भी पहुंचे. इस क्रम में पहचान उजागर होते ही वे चेहरा छिपाकर मीडिया से बचते हुए निकल गए. बताया जा रहा है कि कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा के पूर्व सांसद सह घाटशिला से तीन बार विधायक रहे डॉ. प्रदीप कुमार बलमुचू, भाजपा नेता गिरिनाथ सिंह सहित कई बडे़ नेता सुदेश महतो से मिलने पहुंचे. हालांकि उनके बीच क्या बातचीत हुई इसका ब्यौरा नहीं दिया गया है, लेकिन यह बडे़ नेता आजसू के साथ जा सकते हैं, ऐसी संभावना जताई जा रही है.
यहां बता दें कि सीट शेयरिंग पर पेंच फंसने के बाद आजसू ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ लिया है. आजसू ने 12 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान भी कर दिया है. इनमें से कई सीटों पर उसने बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं. वहीं, आजसू के कदम से नाराज भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बोले कि हम तो पूरी पवित्रता के साथ हम गठबंधन धर्म निभा रहे थे. आजसू को भी राज्यहित में विचार करना चाहिए था. कई दौर की बातचीत हुई, इसके बावजूद आजसू ने उम्मीदवार दे दिया है, कोई बात नहीं है. राजनीति में यह सब चलता रहता है.