झारखंड: रांची में पानी के लिए त्राहिमाम की स्थिती, हो रही है मारपीट
By एस पी सिन्हा | Published: June 8, 2019 01:27 PM2019-06-08T13:27:17+5:302019-06-08T13:27:17+5:30
रिपोर्ट के अनुसार हर साल जलस्तर औसतन छह फीट कम हो रहा है. बेहतर बारिश के बाद भी राजधानी रांची में पानी के खपत के हिसाब से महज 4.46 प्रतिशत पानी ही रिचार्ज हो पाता है.
भीषण गर्मी में पानी को लेकर झारखंड की राजधानी रांची में त्राहिमाम की स्थिति बन गई है. पानी के लिए लोग आपस में लड़ने लगे हैं. ताल-तलैया सूखने के कगार पर हैं तो वहीं सप्लाई वाटर भी दम तोड़ती नजर आ रही है. ऐसे में शहर में जल संकट की गंभीर किल्लत उत्पन्न हो गई है. भूजल स्तर के नीचे जाने के कारण दो लाख से अधिक की आबादी पूरी तरह से टैंकर के पानी पर आश्रित हो गई है. लेकिन निगम के टैंकर भी अब लोगों को पानी देने में अक्षम साबित हो रहे हैं, क्योंकि टैंकरों को ही पानी के लिए भटकना पड़ रहा है.
बताया जा रहा है कि लोग प्यास बुझाने के लिए रोज धरती का सीना चीर रहे हैं. जिसकी वजह से हर साल राजधानी रांची का वाटर लेवल नीचे जा रहा है और लोगों की हलक सुख रही है. पानी की भयावह स्थिती के बीच शहर के कोतवाली थाना क्षेत्र की भुइयां टोली में गुरुवार रात पानी भरने को लेकर हुए विवाद में चाकूबाजी हो गई.
घटना में एक महिला सोना देवी समेत छह लोग घायल हो गये. घटना की सूचना मिलते ही कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को सेवा सदन अस्पताल में भर्ती कराया. पुलिस के अनुसार महिला की स्थिति गंभीर बनी हुई है. स्थानीय लोगों के मुताबिक भुइयां टोली में स्थित पानी की टंकी से पानी भरने को लेकर इन दिनों हमेशा ही विवाद होता रहता है.
आरोप है कि कुछ लोग वहां दबंगई कर दूसरे को पानी लेने के दौरान परेशान करते हैं. गुरुवार रात पहले हम-पहले हम के कारण विवाद हुआ.उसी में अपने नानी घर भरत प्रसाद साहू ने सोना देवी और उसके चारों बेटों पर चाकू से हमला कर दिया. हमले में सभी को घायल हो गये. जब वह चाकू चलाने लगा, तो दूसरे पक्ष के लोगों ने उस पर भी वार कर दिया, जिससे वह भी घायल हो गया.
वहीं, हालात ये हे कि निगम के जिन टैंकरों को शहर की प्यास बुझाने की जिम्मेवारी दी गई है, उन्हें भी अब पानी भरने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. टैंकर के ड्राइवरों की मानें, तो किसी भी हाइड्रेंट में चले जायें, सात से आठ टैंकर पानी भरने के लिए कतार में खड़े दिखते हैं. प्रेशर से पानी नहीं मिलने के कारण एक टैंकर पानी भरने में डेढ घंटे का समय लग जाता है.
ऐसे में आप समझ सकते हैं कि छह टैंकर पानी भरते-भरते आठ से नौ घंटा हो जाता है. उसके बाद हमारा नंबर आता है. इस प्रकार से चाह कर भी हम दो ट्रिप से ज्यादा पानी मोहल्ले में नहीं बांट पाते हैं. नगर निगम द्वारा वर्तमान में राजधानी के हरमू पुल के समीप, बकरी बाजार, डोरंडा, चांदनी चौक हटिया, सिरोम टोली रिजर्वायर, कांटाटोली रिजर्वायर, लटमा, पीएचइडी कॉलोनी बूटी मोड हाइड्रेंट से टैंकरों में पानी भर कर मोहल्ले में वितरित किया जाता है. लेकिन हरमू पुल, बकरी बाजार, डोरंडा व हरमू नदी के समीप स्थित हाइड्रेंट से पानी पर्याप्त प्रेशर के साथ नहीं मिल रहा है. इस कारण यहां टैंकरों की कतार लग जा रही है. कभी कभार टैंकरों की संख्या अधिक होने पर पानी भरने वाले टैंकर एक हाइड्रेंट से दूसरे हाइड्रेंट में भटकते रहते हैं.
वहीं, सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट की माने तो रांची में बहुत ही तेजी से भूमिगत जल का दोहन हो रहा है. जिसका असर आने वाले 10 सालों में साफ तौर से देखने को मिलेगा.
रिपोर्ट के अनुसार हर साल जलस्तर औसतन छह फीट कम हो रहा है. बेहतर बारिश के बाद भी राजधानी रांची में पानी के खपत के हिसाब से महज 4.46 प्रतिशत पानी ही रिचार्ज हो पाता है. 80 प्रतिशत से भी अधिक बारिश का पानी सड़कों पर बह जाता है.
रांची में बोरिंग करनेवाले वाहन चालकों का कहना है कि हजार फीट डीप बोरिंग करने के बाद भी कई जगह पानी नहीं निकल पाता. हरमू इलाके में 900 फीट बोरिंग के बाद भी पानी नहीं निकलता है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि वाटर रिचार्ज नहीं होने के चलते और अत्याधिक दोहन की वजह से ये स्थिति सामने आई है. हरमू इलाके के एक शख्स ने बताया कि 3 साल पहले बोरिंग कराई थी, लेकिन इस बार बोरिंग फेल हो गया. राजधानी रांची में करीब-करीब कमोबेश यही स्थिति सभी इलाके की है.