प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा विपक्षी दलों पर निशाना साधे जाने पर बौखलाई जदयू, कहा- "विपक्षी एकता से पीएम मोदी बेचैन हो गए हैं"
By एस पी सिन्हा | Published: June 27, 2023 05:44 PM2023-06-27T17:44:04+5:302023-06-27T17:46:05+5:30
बिहार का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि बिहार में कुछ जातियों पर ही विशेष ध्यान दिया गया और कई जातियों की घोर उपेक्षा की गई।
पटना: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा विपक्षी दलों पर निशाना साधे जाने पर बिहार के वित्त मंत्री व जदयू के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की एकता से पीएम मोदी बेचैन हो गए हैं।
चौधरी ने कहा कि विपक्षी दलों के सफल बैठक से भाजपा बेचैन है और पीएम के स्तर से साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पीएम के स्तर से इस तरह की बात करना ये स्पष्ट करता है कि भाजपा के नेता परेशान हैं।
पीएम के आज के वादे के सवाल पर बोलते हुए विजय चौधरी ने कहा कि हम लोगों ने देखा है कि कर्नाटक चुनाव फूलों की बारिश करवाई गई थी। जितने क्विंटल फूलों की बारिश की गई।
भाजपा को चुनाव मे उतनी सीटें भी नहीं मिली। वे चुनाव के पहले जो वादे और दावे करते हैं, चुनाव परिणाम में वे सारे वादे और दावे हवा हो जाते हैं। वहीं परिवारवाद और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पीएम के संबोधन पर विजय चौधरी ने कहा कि ये पुरानी बातें हैं। ये लोग पहले से ही ये इन मुद्दों पर बोलते रहें हैं। इसमें कुछ नया नहीं है।
पहले ये कहते थे कि विपक्षी दल एक साथ बैठ ही नहीं सकते हैं और नीतीश की पहल पर जब विपक्षी दल एक साथ बैठें हैं तो इनकी बेचैनी बढ़ी है। इसलिए वह इस तरह की बातें कर रहे हैं। विजय चौधरी ने कहा कि पीएम के स्तर से इस तरह की बातें की जा रही हैं, जिससे की समाज में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण हो, पर देश की जनता अब इनकी चाल समझ चुकी है।
भावना भड़काकर वोट लेने के इनके एजेंडे में अब वो नहीं आने वाली है और आने वाले 2024 को लेकसभा चुनाव में जनता इन्हें अपने मुद्दों का हिसाब लेते हुए जोरदार झटका देगी।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में ‘मेरा बूथ-सबसे मजबूत’ कार्यक्रम के जरिए विरोधियों को आड़े हाथों लिया और जमकर प्रहार किया।
उन्होंने विपक्षी एकता की बैठक पर भी सीधा निशाना साधा। बिहार का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि बिहार में कुछ जातियों पर ही विशेष ध्यान दिया गया और कई जातियों की घोर उपेक्षा की गई। बिहार को दलित-महादलित जातियों में बांट दिया गया। इस तुष्टिकरण की नीति से समाज को ही नुकसान हुआ है।