राजनीतिक उपेक्षा का शिकार है जवाहरलाल नेहरू मार्ग!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 12, 2019 09:58 IST2019-01-12T09:58:12+5:302019-01-12T09:58:12+5:30

महाराष्ट्र के अकोला में नेहरू पार्क चौक से अशोक वाटिका होते हुए स्टेशन की ओर जानेवाली सड़क ही जवाहरलाल नेहरू मार्ग कहलाती है.

Jawaharlal Nehru route is a victim of political neglect! | राजनीतिक उपेक्षा का शिकार है जवाहरलाल नेहरू मार्ग!

राजनीतिक उपेक्षा का शिकार है जवाहरलाल नेहरू मार्ग!

नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराना प्रशासन और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का अधिकार है लेकिन महाराष्ट्र के अकोला महानगर के क्षेत्र में मुख्य सड़कें दम तोड़ चुकी हैं और अब लोगों की हड्डियां तोड़ रही हैं. इस प्रतिकूल स्थिति में भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि खामोशी की चादर ओढ़कर सो रहे हैं.

नेहरू पार्क चौक से स्टेशन तक जानेवाला जवाहरलाल नेहरू मार्ग भी बदहाली का शिकार है. इस रास्ते की सबसे बुरी हालत स्टेशन से टॉवर चौक तक है. गड्ढों और सड़क से उखड़ी गिट्टी के कारण चलना मुश्किल हो गया है. सड़क हर दिन हादसों को न्यौता दे रही है लेकिन विडंबना यह है कि 'जिम्मेदारों' के कान प जूं तक नहीं रेंग रही.

कहते हैं कि सड़कों से शहर की पहचान बनती है और शायद ही वजह है कि बदहाल सड़कों के कारण अकोला शहर को भी पिछड़े शहर की तरह देखा जाता है. राज्य सरकार के स्तर पर भी विकास के मुद्दे पर अकोला किसी योजना के मानचित्र पर नजर नहीं आता. इसका सबसे बड़ा कारण राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है.

पालकमंत्री और नगर विकास मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद अकोला के नेता के पास होने के बावजूद सड़कें बदहाल हैं. सत्ताधारी दल के दो विधायकों की मौजूदगी भी नगर विकास प्रारूप को सुधार पाने में कोई असर नहीं दिखा पा रही है. फिर मामला नेकलेस रोड का हो या शहर के मध्य से गुजरने वाले जवाहरलाल नेहरू मार्ग का.

नेहरू पार्क चौक से अशोक वाटिका होते हुए स्टेशन की ओर जानेवाली सड़क ही जवाहरलाल नेहरू मार्ग कहलाती है. नगर परिषद के कार्यकाल में ही उसका यह नामकरण हुआ था लेकिन कमाल की बात है कि कहीं इस मार्ग पर कोई नामफलक नहीं. भाजपा की सत्ता न केवल सड़क के नाम की उपेक्षा कर रही बल्कि सड़क भी उनकी नजर में उपेक्षित ही नजर आ रही है.

पालकमंत्री, सांसद, दो विधायक और महापौर भी भाजपा के होने के बावजूद अशोक वाटिका से स्टेशन तक जानेवाली सड़क जर्जर हो चुकी है. टॉवर से अग्रसेन चौक और वहां से स्टेशन तक इस सड़क से गुजरना किसी परीक्षा से गुजरने जैसा है. वाहन चालक गड्ढों से बचते-बचाते आगे बढ़ने की कोशिश में नजर आते हैं. बड़े-बड़े गड्ढे भाजपा के सत्ताधारियों को मुंह चिढ़ा रहे हैं.

एक ही दल के पास समग्र राजनीतिक पद एवं शक्तियां होने के बावजूद स्थिति में सुधार न हो पाने के कारण जनता को भी दिए गए वोट पर प्रायश्चित सा होने लगा है. बारिश के पूर्व इस सड़क की मरम्मत की गई थी. गड्ढे पाटने की नौटंकी तो हुई लेकिन बारिश ने उस नौटंकी को बेनकाब कर दिया.

अमूमन सड़क निर्माण के बाद उसका निरंतर रखरखाव होना चाहिए लेकिन यह परंपरा अकोला में नजर नहीं आती. पहले तो सड़क बनती ही नहीं और बन गई तो गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जाता. मरम्मत महज नाम के लिए की जाती है. इन स्थितियों के कारण ही टावर से स्टेशन तक मुख्य सड़क बेहद ज्यादा बदहाल है.

कार्यालयीन कर्मचारी, विद्यार्थी, महिलाएं और सवारी वाहन चालक सभी इस रास्ते से हैरान हो चुके हैं लेकिन सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग नींद ले रहा है. हमारे जनप्रतिनिधि भी उसे जगाने की हिम्मत नहीं कर पा रहे.

अशोक वाटिका से स्टेशन रोड तक जानेवाली सड़क का समावेश प्रस्तावित फ्लाई ओवर में किया गया है. फ्लाई ओवर के निर्माण के समय ही सड़क निर्माण होगा. टावर चौक से स्टेशन तक सड़क की हालत वास्तव में बेहद बुरी है. उसकी मरम्मत के लिए निधि है. उसका उपयोग कर शीघ्र ही मरम्मत की जाएगी. -श्रीराम पटोकार, उप अभियंता, लोकनिर्माण विभाग

बैठक बुलाई जाएगी शहर की मुख्य सड़क बदहाल होना निश्चित ही चिंता का विषय है. लोकनिर्माण विभाग जिस किसी ठेकेदार को निर्माण का ठेका देता है, उसकी जिम्मेदारी रखरखाव की भी होती है लेकिन उसकी अनदेखी की जा रही है. निश्चित रूप से सड़क बेहतर होनी चाहिए ताकि नागरिकों को परेशानी न हो. लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाकर शीघ्र ही मरम्मत करने का निर्देश दिया जाएगा.

Web Title: Jawaharlal Nehru route is a victim of political neglect!

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे