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लद्दाख में टकरावः पैंगांग झील के किनारे चीन ने बढ़ा दी थी सैनिकों और तोपखानों की संख्या, अलर्ट पर भारतीय सेना

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: February 8, 2021 15:49 IST

भारत-चीन में टकरावः 24 जनवरी को दोनों पक्षों में 9वें दौर की बातचीत करीब अढ़ाई महीनों के बाद तनातनी के बीच हुई थी।

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ठळक मुद्दे 8 फिंगर्स के चीनी सेना के कब्जे वाले इलाकों में पीएलए ने अतिरिक्त जवानों को तैनात किया है। करीब दो दर्जन 155 मिमी व्यास वाली पीएजेड तोपखानों को भी आगे लाया गया है।भारतीय जवानों को किसी भी दुस्साहस से निपटने को तैयार रहने को कहा है।

जम्मूः एलएसी पर चीनी सेना द्वारा बातचीत के साथ साथ सैनिकों व सैन्य साजो सामान की तैनाती बढ़ाने की कवायद भारतीय सेना के लिए परेशानी पैदा करने लगी है।

भारतीय सेना ने इसे माना है कि पिछले महीने वार्ता के नौवें दौर को जारी रखने के साथ साथ चीन ने वादाखिलाफी करते हुए लद्दाख सीमा पर पैंगांग झील के आठों फिंगर्स के इलाकों में भारी संख्या में अतिरिक्त सैनिकों व तोपखानों की तैनाती की थी।

पिछले महीने 24 तारीख को दोनों पक्षों में 9वें दौर की बातचीत करीब अढ़ाई महीनों के बाद तनातनी के बीच हुई थी। हालांकि इस दौर में भी यथास्थिति बनाए रखने और अतिरिक्त सैनिकों व साजो सामान की तैनाती नहीं किए जाने का वादा तो हुआ पर चीनी सेना ने खुद ही मौखिक समझौतों को तोड़ दिया।

पीएलए ने अतिरिक्त जवानों को तैनात किया

सेनाधिकारियों के बकौल, पैगांग झील के दक्षिणी किनारों पर स्थित एक से 8 फिंगर्स के चीनी सेना के कब्जे वाले इलाकों में पीएलए ने अतिरिक्त जवानों को तैनात किया है। करीब दो दर्जन 155 मिमी व्यास वाली पीएजेड तोपखानों को भी आगे लाया गया है।

सेना सूत्रों का कहना था कि भारतीय सेना पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है और उसने चीनी सेना की वादाखिलाफी के प्रति अपना रोष दर्ज करवाया है। साथ ही भारतीय जवानों को किसी भी दुस्साहस से निपटने को तैयार रहने को कहा है।

भारतीय सेना सप्ताह में एक बार ही ऐसा कर रही है

मिलने वाले समाचार कहते हैं कि चीनी सेना भयानक सर्दी के कारण अब प्रतिदिन अपने उन जवानों को अग्रिम मोर्चों से रोटेशन के आधार पर भी आगे पीछे कर रही है जहां तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे है। भारतीय पक्ष द्वारा भी ऐसा ही किया जा रहा है। 

दोनों सेनाओं की प्रक्रिया में अंतर बस इतना है कि पीएलए द्वारा प्रतिदिन ऐसा किया जा रहा है और भारतीय सेना सप्ताह में एक बार ही ऐसा कर रही है क्योंकि उसने अग्रिम मोर्चों पर अधिकतर सियाचिन में तैनात जवानों को ही तैनात किया है जिनके पास शून्य से 50 डिग्री नीचे के तापमान में ड्यूटी करने का अनुभव है।

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