कश्मीर में मांसाहार खाने वाले लोगों के लिए नई मुसीबत, जानिए क्या है ये पूरा मामला

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: March 6, 2021 17:26 IST2021-03-06T17:26:11+5:302021-03-06T17:26:11+5:30

जम्मू-कश्मीर में मांसाहार खाने वाले लोगों को इन दिनों एक नई मुश्किल का सामना करना पड़ा रहा है। इसके पीछे मीट विक्रेताओं को प्रशासन के बीच रेट को लेकर विवाद है।

Jammu Kashmir trouble for Non vegeterian as chicken sell drop after rate controversy | कश्मीर में मांसाहार खाने वाले लोगों के लिए नई मुसीबत, जानिए क्या है ये पूरा मामला

जम्मू-कश्मीर में मांसाहार खाने वालों के लिए नई मुसीबत!

Highlightsमीट बेचने वालों और प्रशासन के बीच रेट को लेकर विवाद पर मुश्किल में कश्मीर के लोगविवाद के कारण मीट विक्रेताओं ने इसे बेचना लगभग आधे से भी कम कर दिया हैचिकन और बकरे के मीट की कमी के बीच मछली की बढ़ी घाटी में मांग

जम्मू-कश्मीर में एक साल में करीब 51 हजार टन मीट की खपत हो जाती है। इनमें भी बकरे और मुर्गे ही ज्यादातर शामिल हैं। हालांकि, पिछले 4 महीनों से कश्मीरियों को बकरे के मीट की कमी का सामना नहीं करना पड़ रहा है।

दरअसल, कश्मीर में बकरों की कमी नहीं है बल्कि मीट बेचने वालों और प्रशासन के बीच रेट को लेकर चल रहे विवाद के बाद लोगों को अब ऊंटों के मीट की ओर मुड़ना पड़ा है।  विवाद के बाद मछली की बिक्री में भी इजाफा हुआ है।

दरअसल प्रशासन ने बकरे के मीट की कीमत प्रति किग्रा रू 480 फिक्स की है। पर मीट विक्रेताओं को यह मंजूर नहीं है। नतीजतन चार माह से चल रहे विवाद के बीच मीट विक्रेताओं ने इसे बेचना लगभग आधे से भी कम कर दिया है। 

इनका कहना है कि चार महीनों में 400 करोड़ से अधिक का घाटा इन्हें हो चुका है। कई दिनों तक वे हड़ताल पर भी रहे हैं।

ऐसे में 85 परसेट मांसाहारी कश्मीरियों के लिए मीट का संकट पैदा हो गया तो वे मछली और ऊंटों के मीट की ओर मुड़ने लगे। इससे पहले कश्मीर में कभी-कभार ईद के मौके पर ही ऊंटों का मीट उपलब्ध होता था। हालांकि अब ये बहुतयात में मिलने लगा है। इसके बावजूद कश्मीरी अभी भी उतनी मात्रा में इसे पाने में असमर्थ हैं जितना उन्हें चाहिए।
 
बता दें कि कश्मीर में 21 हजार टन के करीब मीट देश के अन्य भागों से मंगवाया जाता है। आंकड़ों की बात करें तो कश्मीर में 1200 करोड़ के मीट की बिक्री प्रतिवर्ष होती है।

बकरे के मीट की कीमतों पर बने हुए विवाद के बाद अगर ऊंट के मीट की तलाश तेज हुई है तो मछली की बिक्री में भी 25 से 30 फीसदी का उछाल आया है। कश्मीरी अभी तक मछली को तरजीह नहीं देते थे लेकिन अब उन्हें मजबूरन इसकी ओर आना पड़ा है।

Web Title: Jammu Kashmir trouble for Non vegeterian as chicken sell drop after rate controversy

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