Jammu-Kashmir: बरखा बहार आई, केसर में नई जान लाई; बारिश ने केसर की फसल की उम्‍मीद बढ़ा दी है

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: August 21, 2024 09:39 IST2024-08-21T09:38:44+5:302024-08-21T09:39:23+5:30

श्रीनगर: एक अन्य केसर किसान बशीर अहमद के बकौल, हालांकि, हाल के वर्षों में अनुकूल मौसम की स्थिति देखी गई है, जिसका उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कश्मीर में केसर की खेती के लिए शुष्क मौसम अक्सर चुनौतियां पेश करता रहा है।

Jammu-Kashmir Rain has increased hopes for saffron crop | Jammu-Kashmir: बरखा बहार आई, केसर में नई जान लाई; बारिश ने केसर की फसल की उम्‍मीद बढ़ा दी है

Jammu-Kashmir: बरखा बहार आई, केसर में नई जान लाई; बारिश ने केसर की फसल की उम्‍मीद बढ़ा दी है

श्रीनगर: इस साल कश्मीर में केसर की खेती की शुरुआत अच्छी रहने की उम्‍मीद जग गई हे क्‍योंकि फसल के लिए अहम समय पर हुई बारिश इसकी वजह है। केसर के लिए खास तौर पर फायदेमंद रही बारिश इस मौसम में क्षेत्र की अन्य फसलों के सामने आई चुनौतियों से बिल्कुल अलग है। दुनिया के सबसे बेशकीमती केसर के उत्पादन के लिए मशहूर घाटी के केसर के खेतों में हाल ही में हुई बारिश से सकारात्मक वृद्धि देखी गई है। समय पर हुई इस बारिश से केसर की गुणवत्ता और उपज में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय किसानों को बहुत जरूरी लाभ मिलेगा।

केसर उत्‍पादक किसान मुजफ्फर अहमद कहते थे कि यह किसानों के लिए वाकई खुशी का पल है क्योंकि केसर एक बहुत ही नाजुक फसल है और इसे समय पर बारिश की जरूरत होती है। इस सप्ताह हुई बारिश से फसल को बढ़ने में मदद मिलेगी, जिससे इसकी गुणवत्ता और मात्रा में वृद्धि होगी।

यह सच है कि इसके विपरीत, लंबे समय तक सूखे के कारण इस साल सब्जियों और धान की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। मौसम की शुरुआत में लंबे समय तक सूखे के कारण विशेष रूप से सब्जियों की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जिससे स्थानीय किसानों के लिए पैदावार कम होने और मुश्किलें बढ़ने की चिंता बढ़ गई।

केसर किसानों ने भी लंबे समय तक सूखे मौसम को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस फसल को लगातार बारिश की जरूरत है। कश्मीर के केसर उत्पादक संघ के अध्यक्ष अब्दुल मजीद वानी कहते थे कि अभी तक फसल पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। हालांकि, केसर को 20 अगस्त के बाद और सितंबर में नियमित बारिश की जरूरत होती है।

केसर उत्पादकों का दावा था कि पिछले कुछ वर्षों में दर्ज की गई बढ़ी हुई उपज घाटी में समय-समय पर होने वाली बारिश का नतीजा है। केसर की खेती मौसम के प्रति बहुत संवेदनशील होती है। अपर्याप्त बारिश शुरुआती विकास में बाधा डाल सकती है और फसल की गुणवत्ता और उपज को प्रभावित कर सकती है।

एक अन्य केसर किसान बशीर अहमद के बकौल, हालांकि, हाल के वर्षों में अनुकूल मौसम की स्थिति देखी गई है, जिसका उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कश्मीर में केसर की खेती के लिए शुष्क मौसम अक्सर चुनौतियां पेश करता रहा है।

गौरतलब है कि सरकार ने इन चुनौतियों को कम करने और कश्मीर में केसर की खेती को फिर से जीवंत करने के लिए 2010 में 4.1 बिलियन रुपये का राष्ट्रीय केसर मिशन (एनएमएस) शुरू किया था। किसानों ने दावा किया कि मैनुअल सिंचाई के अलावा समय पर बारिश फसल की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए, कश्मीर के किसानों ने इनडोर खेती का सहारा लिया है। खेती का यह तरीका जो अभी तक आम नहीं है, उसने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं क्योंकि उत्पादकों को इनडोर खेती के माध्यम से उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता के मामले में भी अच्छा रिटर्न मिला है।

Web Title: Jammu-Kashmir Rain has increased hopes for saffron crop

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