Jammu-Kashmir: अब असामान्य मौसम पैटर्न से जूझ रहे हैं कश्मीर के बागवान
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: September 13, 2025 10:24 IST2025-09-13T10:24:13+5:302025-09-13T10:24:59+5:30
Jammu-Kashmir: मिट्टी और हवा में नमी का असंतुलन सीधे तौर पर फल धारण क्षमता को प्रभावित करता है

Jammu-Kashmir: अब असामान्य मौसम पैटर्न से जूझ रहे हैं कश्मीर के बागवान
Jammu-Kashmir: कभी बाढ़, कभी गर्मी और कभी सूखे से परेशान कश्मीर के बावगवान अब असामान्य मौसम पैटर्न से जूझने को मजबूर हैं। जिसका परिणाम यह है कि उनकी कीमती फसल सेब पेड़ों से अपने आप झड़ रही है।
यह पूरी तरह से सच है कि कश्मीर भर के सेब उत्पादक नए संकट से जूझ रहे हैं क्योंकि कटाई के मौसम के चरम पर बागों से बड़े पैमाने पर फल गिरने की खबरें आई हैं। पहले से ही खराब मौसम, कीटों के प्रकोप और परिवहन व्यवधानों से जूझ रहे किसानों का कहना है कि यह अप्रत्याशित घटना उन्हें भारी आर्थिक नुकसान की ओर धकेल रही है।
कई महीनों से, घाटी के बागवान लंबे समय तक सूखे, ओलावृष्टि, तेज हवाओं और स्पाइडर माइट व रस्टिंग जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। राजमार्ग बंद होने से आपूर्ति श्रृंखला और भी बाधित हो गई, जिससे देरी हुई और माल ढुलाई की लागत बढ़ गई। अब, जब बागवान अपनी साल भर की मेहनत का फल लेने के लिए तैयार थे, सेब की अचानक गिरावट ने उन्हें स्तब्ध कर दिया है।
शोपियां के एक बागवान अब्दुल राशिद ने बताया कि मैंने अपने जीवन में पहली बार पेड़ों से इस तरह सेब गिरते हुए देखा है। हमने पूरे साल कड़ी मेहनत की, कीटों और शुष्क मौसम से लड़ा, लेकिन अब कटाई के दौरान लंबे समय तक बारिश के कारण फल बड़ी संख्या में गिर गए हैं। यह दिल दहला देने वाला है।
किसानों का कहना है कि गिरे हुए सेब तुरंत अपनी गुणवत्ता खो देते हैं और दोयम दर्जे के सेब बन जाते हैं, जिससे बाजार में उनकी कीमत बेहद कम मिलती है।
पुलवामा के एक उत्पादक गुलाम नबी कहते थे कि हमने पहले भी मौसम और कीटों से होने वाले नुकसान का सामना किया है, लेकिन फलों का अचानक गिरना बिल्कुल नई बात है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो हम अपनी उपज का एक बड़ा हिस्सा खो सकते हैं। हमारे परिवार पूरी तरह से इन बागों पर निर्भर हैं, और इस तरह के नुकसान से हमारा अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाता है।
वैसे कृषि विशेषज्ञ इस संकट के पीछे असामान्य मौसम पैटर्न को मुख्य कारण बताते हैं। उनका कहना है कि लंबे समय तक नमी की स्थिति फलों के तने और जुड़ाव को कमज़ोर कर देती है, जिससे समय से पहले ही सेब गिर जाते हैं।
बागवानी वैज्ञानिक डा शब्बीर अहमद डार ने बताते थे कि फसल के दौरान लगातार बारिश से पेड़ों पर शारीरिक दबाव पड़ता है। मिट्टी और हवा में नमी का असंतुलन सीधे तौर पर फल धारण क्षमता को प्रभावित करता है। लेकिन हमें इसकी सीमा का आकलन करने और भविष्य के लिए निवारक उपाय सुझाने के लिए व्यवस्थित क्षेत्र सर्वेक्षण की आवश्यकता है।
हालांकि बागवानी विभाग के अधिकारियों ने कई जिलों से संकटकालीन काल प्राप्त होने की बात स्वीकार की। एक वरिष्ठ बागवानी अधिकारी ने कहा कि हालांकि अत्यधिक वर्षा तत्काल कारण प्रतीत होती है, हम मिट्टी के पोषण और बाग प्रबंधन प्रथाओं जैसे अन्य कारकों का पता लगाने के लिए काम करेंगे।
जबकि उत्पादकों का कहना है कि सरकार को आकलन से आगे भी देखना चाहिए। कुलगाम के एक किसान मोहम्मद यूसुफ कहते थे कि हम तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हैं। अधिकारियों को न केवल समस्या का अध्ययन करना चाहिए, बल्कि मुआवजे की घोषणा भी करनी चाहिए। यह मौसम हमारे लिए एक बुरे सपने जैसा हो गया है।
यह सच है कि इस संकट ने कश्मीर के सेब उद्योग पर भी गहरा असर डाला है, जो इस क्षेत्र के बागवानी क्षेत्र की रीढ़ है। लाखों लोगों को रोजगार देने वाला और अर्थव्यवस्था में हजारों करोड़ रुपये का योगदान देने वाला यह उद्योग पहले से ही परिवहन बाधाओं और बढ़ती लागत से जूझ रहा था। नतीजतन किसानों को डर है कि अगर फलों का गिरना जारी रहा, तो घाटी का सेब उत्पादन और उनकी आजीविका इस साल एक और गंभीर झटका झेलेगी।