लाइव न्यूज़ :

जम्मू कश्मीरः प्रवासी श्रमिकों की कमी से कामकाज पर हुआ बुरा असर, सीमावर्ती किसान हुए परेशान

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: October 26, 2021 19:00 IST

अभी तक जम्मू कश्मीर में प्रवासी श्रमिकों की कोई कमी नहीं थी इस माह के शुरू में प्रवासी नागरिकों को आतंकियों द्वारा निशाना बनाए जाने तथा उनकी हत्याओं के बाद कश्मीर में उनका गैर मौजूदगी सबको खलने लगी है।

Open in App
ठळक मुद्देप्रदेश से बोरिया बिस्तर समेट अपने घरों को लौटने का क्रम जारी है स्थिति यह हो गई है कि कश्मीर में वे सब कार्य ठप्प हो गए हैं

जम्मू। आतंकवादग्रस्त जम्मू कश्मीर को प्रवासी श्रमिकों की जबरदस्त कमी का सामना करना पड़ रहा है। उनकी कमी के संकट से जूझ रहे जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए समस्या यहां तक पहुंच गई है कि अगर यह कमी यूं ही बनी रही तो कई प्रकार की गतिविधियां ठप्प हो जाएंगी जो इन्हीं प्रवासी श्रमिकों के सहारे जारी रहती हैं।

अभी तक जम्मू कश्मीर में प्रवासी श्रमिकों की कोई कमी नहीं थी इस माह के शुरू में प्रवासी नागरिकों को आतंकियों द्वारा निशाना बनाए जाने तथा उनकी ताबड़तोड़ हत्याओं के बाद कश्मीर में उनका गैर मौजूदगी सबको खलने लगी है। चौंकाने वाली बात यह कि इन हत्याओं का असर जम्मू मंडल में भी पड़ा है जहां से भी प्रवासी नागरिक अपने प्रदेशों को लौटने लगे हैं।

असल में पाक समर्थक विदेशी आतंकियों ने कश्मीर में होने वाले नरसंहारों के क्रम में पहले इन प्रवासी मजदूरों को भी तेजी के साथ निशाना बनाया था। और जब वे 5 अगस्त 2019 के हालात के बाद सरकारी सलाह के बाद घरों को तो लौट गए लेकिन उनकी वापसी भी सहज नहीं है। आतंकी उन्हें डराने धमकाने की खातिर उन पर हमले करने लगे हैं तथा उन्हें मौत के घाट उतारने लगे हैं।

इन परिस्थितियों का नतीजा यह है कि प्रदेश से बोरिया बिस्तर समेट अपने घरों को लौटने तथा जम्मू में डेरा लगाने का जो क्रम आरंभ हुआ वह लगातार जारी है। अगर आंकड़ों पर विश्वास करें तो कश्मीर घाटी पूरी तरह से प्रवासी मजदूरों से रिक्त होने लगी है।

नरसंहारों के उपरांत आतंकी धमकियों के चलते जान बचाने की इस दौड़ में अब प्रवासी मजदूरों के शामिल हो जाने के बाद स्थिति यह हो गई है कि कश्मीर में वे सब कार्य ठप्प हो गए हैं जिनमें यह प्रवासी श्रमिक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

याद रखने योग्य तथ्य है कि जम्मू कश्मीर में स्थानीय श्रमिकों की भारी कमी है और श्रमिकों के विकल्प के रूप में प्रवासी मजदूरों का सहारा लिया जाता है जो उत्तर प्रदेश, बिहार तथा मध्यप्रदेश से आते हैं। इन्हीं श्रमिकों का सहारा सीमावर्ती किसान अपने खेतों की बुबाई, कटाई आदि के लिए भी लेते आ रहे हैं।

टॅग्स :जम्मू कश्मीर
Open in App

संबंधित खबरें

भारतपहले LOC पर आग लगाओ, बारूदी सुरंगें नष्ट करो, फिर आतंकियों को धकेलने का रास्ता बनाओ: घुसपैठ के लिए पाक सेना के नए हथकंडे

स्वास्थ्यबाप रे बाप?, हर दिन JK में 38 कैंसर केस, 5 साल में 67037 का आंकड़ा और 2024 में 14000 नए मामले

भारतAdventure Tourism Summit 2025: एडवेंचर टूरिज्म कार्यक्रम के लिए है कश्मीर, जानें क्या कुछ होगा खास

भारतबारिश की कमी से कश्मीर में गंभीर जलसंकट, सारा दारोमदार बर्फ पर टिका

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारत अधिक खबरें

भारतउमर अब्दुल्ला ने बताया कैसे एक ठुकराई हुई लड़की ने पुलिस से अपने एक्स- बॉयफ्रेंड के बारे में शिकायत की और फिर हुआ दिल्ली ब्लास्ट की साज़िश का पर्दाफ़ाश

भारत'आप यहां चुनाव के लिए हैं, हम यहां देश के लिए हैं': प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी, बीजेपी पर हमला किया

भारतटीएमसी सांसद ने PM मोदी द्वारा बंकिम चंद्र को ‘बाबू’ की जगह ‘दा’ कहने पर जताई आपत्ति, प्रधानमंत्री को भाषण के बीच में रोका, VIDEO

भारतमुकदमों की अंबार से दबी बिहार की अदालतें, 36 लाख से अधिक लंबित मुकदमों के कारण समय पर नहीं मिल पा रहा है लोगों को न्याय

भारतजन संस्कृतिक मंचः 50 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती, 15 सदस्यीय आयोजन समिति का गठन