जम्मू-कश्मीर को लेकर पिछले एक सप्ताह से जारी अटकलें खत्म हो गई हैं। मोदी सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के लिए राज्यसभा में संकल्प पेश किया है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा। लद्दाख को अलग से केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने वाला विधेयक पेश किया गया है।
मोदी सरकार इस फैसले को लेकर कुछ लोगों के निशाने पर आ गई है। स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव ने फेसबुक पर लिखा, वाजपेयीजी ने कश्मीर नीति के तीन सूत्र दिए थे: इंसानियत,जम्हूरियत,कश्मीरियत। इन तीनों को नजरअंदाज करने वाला आज का फैसला अंततः अलगाववादियों और पाक समर्थित आतंकवादियों के हाथ मजबूत करेगा। इतिहास गवाह है की गले लगाने की बजाय गला दबाने की नीति का खामियाजा आने वाली पीढ़ियां देती हैं।
वहीं वरिष्ठ इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्वीट किया, यह लोकतंत्र नहीं है, यह अधिनायकवाद है, विडंबनाओं की करतूत, असुरक्षित शासक जो संसद के अंदर या बाहर भी उचित बहस नहीं करते हैं।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 पर सरकार के कदम को “एकतरफा एवं चौंकाने वाला” करार दिया और कहा कि यह राज्य की जनता के साथ “पूरी तरह विश्वासघात” है।
जम्मू में भारत का संविधान लागू करने संबंधी प्रावधान का आदेश जारी
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को जम्मू कश्मीर सरकार से संबंधित संविधान (जम्मू कश्मीर में लागू) आदेश 2019 जारी किया जो राज्य में भारत का संविधान लागू करने का प्रावधान करता है । राष्ट्रपति ने संविधान (जम्मू कश्मीर में लागू) आदेश 2019 जारी किया जो तत्काल प्रभाव से लागू गया। यह जम्मू कश्मीर में लागू आदेश 1954 का स्थान लेगा।
इसमें कहा गया है कि संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर राज्य में लागू होंगे। सरकार ने कहा कि राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 367 में उपबंध 4 जोड़ा है जिसमें चार बदलाव किये गए हैं। इसमें कहा गया है कि संविधान या इसके उपबंधों के निर्देशों को, उक्त राज्य के संबंध में संविधान और उसके उपबंधों को लागू करने का निर्देश माना जायेगा।
जिस व्यक्ति को राज्य की विधानसभा की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा जम्मू एवं कश्मीर के सदर ए रियासत, जो स्थानिक रूप से पदासीन राज्य की मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य कर रहे हैं, के रूप में स्थानिक रूप से मान्यता दी गई है, उनके लिये निर्देशों को जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल के लिये निर्देश माना जायेगा।
इसमें कहा गया है कि उक्त राज्य की सरकार के निर्देशों को, उनकी मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य कर रहे जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के लिये निर्देशों को शामिल करता हुआ माना जायेगा।