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आतंकवाद से जम्मू-कश्मीर के लोग तंग आ गए हैं, सेना प्रमुख बोले-मुश्किल दौर से गुजर रहा है देश

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 13, 2020 15:19 IST

सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि हमें पिछले 10-15 दिन में कई सफलता मिली हैं, 15 से ज़्यादा आतंकवादी मारे गए। ये सब हो सका क्योंकि जम्मू-कश्मीर में सभी सुरक्षा बलों के बीच सहयोग और समन्वय रहा। ज्यादातर ऑपरेशन स्थानीय लोगों से मिली सूचना पर आधारित थे।

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ठळक मुद्दे‘‘यह सब केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में तैनात सभी सुरक्षा बलों के बीच करीबी सहयोग तथा समन्वय के कारण हुआ है।’’ इस बात का संकेत है कि वे आतंकवाद से तंग आ गये हैं और घाटी में सामान्य स्थिति लौटते देखना चाहते हैं।युवाओं को अत्यंत चुनौतीपूर्ण हालात के दौर में सेना में अधिकारियों के रूप में शामिल किया जा रहा है और उनके सैन्य प्रशिक्षण के उच्च मानक उन्हें चुनौतियों से उबरने में मदद करेंगे।

देहरादूनः सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों को हाल ही में बहुत सफलताएं मिली हैं और वहां लोग आतंकवाद से तंग आ गये हैं व सामान्य स्थिति लौटते देखना चाहते हैं।

जनरल नरवणे ने यहां आईएमए की पासिंग आउट परेड से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘जहां तक जम्मू कश्मीर या हमारे पश्चिम के पड़ोसी की बात है तो हमने पिछले एक सप्ताह या दस दिन में बहुत सफलताएं अर्जित की हैं। पिछले 10-15 दिन में ही वहां 15 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह सब केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में तैनात सभी सुरक्षा बलों के बीच करीबी सहयोग तथा समन्वय के कारण हुआ है।’’ सेना प्रमुख ने कहा कि हाल ही में अंजाम दिए गए अधिकतर आतंकवाद निरोधक अभियान स्थानीय लोगों की सूचनाओं पर आधारित थे जो इस बात का संकेत है कि वे आतंकवाद से तंग आ गये हैं और घाटी में सामान्य स्थिति लौटते देखना चाहते हैं।

परेड में कुल 423 कैडेट को सेना में शामिल किया गया जिनमें 333 भारत के और 90 मित्र देशों से हैं

सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा कि देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है और इसकी सुरक्षा व सम्मान सैन्य नेताओं के तौर पर इसके युवा अधिकारियों की क्षमता पर निर्भर करती है। यहां भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में पासिंग आउट परेड के निरीक्षण अधिकारी के तौर पर कैडेट को संबोधित करते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि युवाओं को अत्यंत चुनौतीपूर्ण हालात के दौर में सेना में अधिकारियों के रूप में शामिल किया जा रहा है और उनके सैन्य प्रशिक्षण के उच्च मानक उन्हें चुनौतियों से उबरने में मदद करेंगे।

परेड में कुल 423 कैडेट को सेना में शामिल किया गया जिनमें 333 भारत के और 90 मित्र देशों से हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह देश के लिए मुश्किल वक्त है। देश की सुरक्षा, सम्मान और गरिमा सैन्य नेताओं के तौर पर आपकी क्षमताओं पर निर्भर करती है। आपको अपने देशवासियों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा। आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप जो भी करें, देशवासियों के कल्याण के लिए हो।’’ सेना प्रमुख ने कहा कि कोई अच्छी या बुरी रेजीमेंट नहीं होती, बस केवल अच्छे अधिकारी होते हैं।

जनरल नरवणे ने कहा, ‘‘अपने जवानों के साथ ऐसा ही अधिकारी बनिए। उनका विश्वास और स्नेह हासिल करिए और वे आपके लिए लड़ाई जीतेंगे।’’ उन्होंने कैडेट से जज्बे के साथ सैन्य अधिकारियों के रूप में नयी भूमिका स्वीकार करने और साथ ही करुणा भी रखने का आह्वान किया। सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘जब चीजें मुश्किल हो जाती हैं और सब खोते हुए दिखता है, तो आपके जवानों की भावना ही आपको जिताने में मददगार होती है।’’ उन्होंने कहा कि अधिकारी के रूप में सेना में पहला कदम रख रहे जेंटिलमैन कैडेट को रणनीतिक और अभियान संबंधी फैसले लेने होंगे और नैतिकता से जुड़े मुद्दों का समाधान भी करना होगा और वे केवल अपने विवेक से दिशानिर्देश हासिल कर सकेंगे।

सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘ऐसे चुनौतीपूर्ण क्षणों में भारत के संविधान की प्रस्तावना में अंकित मूल्यों को अपना मार्गदर्शक बनाएं।’’ उन्होंने युवा अधिकारियों से जाति, वर्ण और धर्म के तुच्छ विचारों से ऊपर उठकर काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि सेना भेदभाव नहीं करती। जनरल नरवणे ने कहा कि बाहरी खतरों के साथ ही आपको देश को अस्थिर करने वाली आंतरिक ताकतों का भी सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि कैडेट के अत्यंत गहन अभ्यासों ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि वे अपने-अपने देशों को गौरवान्वित करेंगे।

सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘आपके कॅरियर के आखिर में अंतत: आपका पद नहीं बल्कि यह मायने रखेगा कि आपने कितने सम्मान से अपने देश की सेवा की है।’’ कैडेट के अभिभावकों को दिये संदेश में सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘कल तक वे आपके बच्चे थे, लेकिन कल से हमारे होंगे।’’ कोरोना वायरस महामारी के कारण इस बार अभिभावकों को समारोह में शामिल होने की अनुमति नहीं थी।

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