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जम्मू-कश्मीर: 14 वर्षीय मुदस्सर, 17 वर्षीय साकिब की मौत के बाद बंदूक उठाने वाले नौजवानों में हो सकती है बढ़ोतरी

By सुरेश डुग्गर | Updated: December 10, 2018 16:26 IST

14 और 17 साल की उम्र के युवकों द्वारा हथियार थाम सुरक्षाबलों से भिड़ जाने की इस घटना के बाद सुरक्षाधिकारियों का चिंता इस बात की है कि आने वाले दिनों में कश्मीर में ऐसे नाबालिग आतंकियों की बाढ़ आ सकती है और जिसे रोका जाना बेहद ही जरूरी है।

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यह पहला मौका नहीं है कि कश्मीर में इतनी कम उम्र के आतंकियों को सुरक्षाबलों ने ढेर किया हो पर 14 साल के मुद्दस्सर और 17 साल के साकिब की मौत के बाद कश्मीर में चिंता की विषय यह है अगर इतनी कम उम्र के युवक आतंकवाद की राह पर चलना आरंभ हो जाएंगें तो कश्मीर का भविष्य ही खतरे में पड़ जाएगा।

वर्ष 2000 के अप्रैल महीने की 21 तारीख को कश्मीर में पहले मानव बम ने कार बम विस्फोट कर अपने आपको उड़ाया था तो यह जानकारी सिंहरन पैदा करने वाली थी कि उस मानव बम की उम्र मात्र 18 साल थी और वह 12वीं कक्षा का छात्र था। श्रीनगर के खान्यार का रहने वाला अफाक अमहद शाह खुद मानव बम बना था या फिर बरगलाया गया था, फिलहाल इस रहस्या से पर्दा कभी नहीं उठ पाया।

परंतु कल श्रीनगर के मुजगुंड में उन दो आतंकियों की मौत चिंता का विषय बन चुकी है जिनमें से एक की उम्र मात्र 14 साल की थी तो दूसरे की 17 साल। एक 9वीं कक्षा का छात्र था और दूसरा 11वीं कक्षा का। दोनों इसी साल अगस्त महीने में एकसाथ स्कूल से गायब हुए थे और पिछले हफ्ते उन दोनों की बंदूकों के साथ तस्वीरें सोशल मीडिया पर आईं और कल 18 घंटों की मुठभेड़ में उन्हें मार गिराया गया।

मात्र 14 साल की उम्र में बंदूक उठाने वाला मुद्दस्सर अहमद पर्रे कश्मीर का सबसे छोटा आतंकी बन गया है। बंदूक के साथ जब उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैलीं थीं तो उसके मासूम चेहरे को देख अधिकतर लोगों का मानना था कि किसी ने यह मजाक किया है और उसके हाथ में खिलौना बंदूक है। पर सच्चाई कुछ और ही थी। कल जब पुलिस ने उसके शव को बाहर निकाला तो सभी के लिए हैरान होना लाजिमी था।

कश्मीर रेंज के आईजी एसपी पाणी भी इस आतंकी की मौत पर हैरान थे। हालांकि उनका कहना था कि इतनी कम उम्र के बच्चों का आतंकवाद के साथ लगाव खतरनाक संकेत दे रहा है जिसे रोकने की खतिर कश्मीरियों को आगे आना होगा। दूसरी ओर मुद्दस्सर की मां फरीदा बेगम कहती थी उसे बिल्कुल जानकारी नहीं थी कि उसका बेटा आतंकवाद की राह पर चला गया है वह तो उसकी गुमशुदगी को मात्र गुमशुदगी ही मान रही थी।

14 और 17 साल की उम्र के युवकों द्वारा हथियार थाम सुरक्षाबलों से भिड़ जाने की इस घटना के बाद सुरक्षाधिकारियों का चिंता इस बात की है कि आने वाले दिनों में कश्मीर में ऐसे नाबालिग आतंकियों की बाढ़ आ सकती है और जिसे रोका जाना बेहद ही जरूरी है। एक अधिकारी के बकौल, अगर नाबालिग बच्चों के हाथों मंे बंदूकें थमाने में आतंकवादी और पाकिस्तान कामयाब रहा तो कश्मीर का भविष्य पूरी तरह से तबाह हो जाएगा। फिलहाल इस मुद्दे पर हुर्रियती नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। 

टॅग्स :जम्मू कश्मीरआतंकी हमला
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