श्रीनगरः आतंकवादियों से कथित तौर पर संबंध रखने वाले सरकारी अधिकारियों को हटाने की अपनी नीति को जारी रखते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार को एक जेल उपाधीक्षक और एक राजकीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक को बर्खास्त कर दिया है।
अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 311 को लागू करते हुए सरकार ने उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं। इस अनुच्छेद के तहत बर्खास्त करने से पहले कोई जांच नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि जेल विभाग में उपाधीक्षक फिरोज अहमद लोन और दक्षिण कश्मीर में बिजबेहरा के राजकीय बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य जावेद अहमद शाह को आतंकवादी संगठनों के लिए काम करने के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
उपाधीक्षक रैंक सब-इंस्पेक्टर के समान है। इस साल विशेष प्रावधानों के तहत बर्खास्त कर्मचारियों की संख्या 29 हो गई है। अधिकारियों के अनुसार लोन को 2007-08 में जेल विभाग में नियुक्त किया गया था। लोन पर आतंकी समूहों के लिए काम करने का आरोप लगाया गया था और लंबे अदालती मामले के बाद आखिरकार 2012 में लोन को नौकरी मिल गई थी।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने लोन को 2017 में गिरफ्तार किया था। एनआईए के मुताबिक, प्रतिबंधित हिजबुल मुजाहिदीन के स्वयंभू कमांडर रियाज नाइकू के इशारे पर लोन ने दो युवकों दानिश गुलाम लोन और सोहैल अहमद भट की गिरफ्तार आतंकवादी इशफाक पल्ला से मुलाकात कराई थी।
साजिश के तहत दोनों युवकों को पाकिस्तान जाकर हथियारों का प्रशिक्षण लेना था और फिर कश्मीर लौटना था। हालांकि, उनके पाकिस्तान जाने से पहले ही पुलिस ने दोनों को 2017 में पकड़ लिया और बाद में मामले को एनआईए ने अपने कब्जे में ले लिया। पूछताछ के दौरान युवकों ने लोन का नाम लिया जिसे एनआईए ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
अधिकारियों के अनुसार शाह पर आतंकवादियों का कट्टर समर्थक तथा हुर्रियत और प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के प्रति सहानुभूति रखने का आरोप है। शाह पर 2016 के आंदोलन के दौरान बिजबेहरा में काम कर रहे हुर्रियत सदस्यों के सलाहकार की भूमिका निभाने का भी आरोप है। शाह ने अपने आधिकारिक पद का खुले तौर पर दुरुपयोग किया। शाह पर छात्राओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए प्रयास करने का भी आरोप है।