युद्ध की आशंकाओं के बीच पलायन से जूझ रहा है जम्मू कश्मीर, 50 हजार ग्रामीण छोड़ चुके गांव
By सुरेश डुग्गर | Published: March 15, 2019 09:07 PM2019-03-15T21:07:11+5:302019-03-15T21:07:11+5:30
जम्मू सीमा के लोगों को पलायन के लिए मजबूर इसलिए होना पड़ा है क्योंकि पाक सेना ने गोलाबारी जारी रखने के साथ ही सीमा पार अपनी गतिविधियों को तेज करने के साथ ही हजारों की संख्यां मे जवानों व टैंकों के अतिरिक्त तोपखानों को तैनात कर युद्ध की आशंका को बल दिया है।
युद्ध की आशंका के साथ साथ जम्मू कश्मीर पलायन से भी जूझ रहा है। पिछले 15 दिनों के भीतर 50 हजार से अधिक लोग पलायन की त्रासदी का शिकार हो चुके हैं। सबसे अधिक पलायन करने वालों की संख्या जम्मू कश्मीर सीमा पर है जहां से 40-50 हजार लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं।
जम्मू सीमा के लोगों को पलायन के लिए मजबूर इसलिए होना पड़ा है क्योंकि पाक सेना ने गोलाबारी जारी रखने के साथ ही सीमा पार अपनी गतिविधियों को तेज करने के साथ ही हजारों की संख्यां मे जवानों व टैंकों के अतिरिक्त तोपखानों को तैनात कर युद्ध की आशंका को बल दिया है।
कठुआ जिले की पहाड़पुर सीमा चौकी से लेकर अखनूर सैक्टर में भूरे चक तक के अंतरराष्ट्रीय सीमा के क्षेत्रों, राजौरी पुंछ की एलओसी तथा कश्मीर सीमा के क्षेत्रों में सीमा से सटे गांवों में आज शायद ही कोई ऐसा गांव होगा जो पाकिस्तानी गोलाबारी व गोलीबारी से त्रस्त न होगा। पाक सेना सैनिक ठिकानों के साथ साथ नागरिक ठिकानों को भी निशाना बना रही है।
चानना, चपरायल, चन्नी, पल्लांवाला, नौशहरा, झंगर, आदि कुछ ऐसे नाम हो गए हैं अब जम्मू कश्मीर की सीमा पर जहां से पलायन करने वालों का सिलसिला जारी है। सीमा क्षेत्रों में सामान उठा सुरक्षित स्थानों की ओर जाते हुए लोगों के काफिलों को देखा जा सकता है।
हालांकि, कई गांवों को भारतीय सुरक्षबलों ने खाली करवाया है। इंटरनेशनल बार्डर तथा एलओसी पर भारतीय सेना ने उन कुछ गांवों को अवश्य खाली करवाया है जो पाक सेना के सीधे निशाने बन रहे थे। अधिकारी कहते हैं कि इन गांवों को खाली करवाने के अतिरिक्त उनके पास कोई चारा इसलिए नहीं था क्योंकि अगर वे ऐसा न करते तो नागरिकों के हताहत होने की आशंका बनी रहती।