LOC पर गोलाबारी, पाक गोलों की बरसात, सीजफायर का उल्लंघन, दहशत में लोग

By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 6, 2020 07:58 PM2020-10-06T19:58:29+5:302020-10-06T19:58:29+5:30

दिन में लोग कामकाज में लिप्त रहते थे और रात को चैन की नींद सोते थे अब वहीं दिन में पेट भरने के लिए अनाज की तलाश होती है तो रातभर आसमान ताका जाता है। आसमान में वे उन चमकने वाले गोलों की तलाश करते हैं जो पाक सेना तोप के गोले दागने से पूर्व इसलिए छोड़ती है क्योंकि वह टारगेटांें को स्पष्ट देख लेना चाहती है।

Jammu and Kashmir LOC shelling Pak shells rain ceasefire violations people in panic | LOC पर गोलाबारी, पाक गोलों की बरसात, सीजफायर का उल्लंघन, दहशत में लोग

सच्चाई यह है कि खाने को अनाज नहीं बल्कि इन लोगों को पाकिस्तानी गोलियां व गोले अवश्य मिल रहे हैं।

Highlightsबिना घोषणा के जम्मू कश्मीर की सीमा पर युद्ध की परिस्थितियां बनाए हुए है, बावजूद सीजफायर के। 814 किमी लम्बी जम्मू कश्मीर की एलओसी से सटे क्षेत्रों में रहने वाले सीमावासी अपने घरों में रह रहे हों। बोफोर्स जैसी तोपों का इस्तेमाल करते हैं तो उनके मकानों में दरारें पड़ जाती हैं जो कभी कभी खतरनाक भी साबित होती हैं।

जम्मूः एलओसी पर रहने वाली लाखों सीमावासियों की दुआएं अब बदलने लगी हैं। वे इन दुआयों में अपनों की खैर से पहले पाक गोलों की बरसात के बंद होने की दुआएं मांगते हैं और आस लगाए बैठे हैं कि सीजफायर के बावजूद जो गोलाबारी लगातार हो रही है वह बंद हो जाए।

यह भी सच है कि एलओसी से सटे इलाकों में पांच वक्त की नमाज अदा करने वालों की दुआएं भी बदल गई हैं। पहले जहां वे अपनी दुआयों में खुदा से कुछ मांगा करते थे, सुख-चैन और अपनी तरक्की मगर अब इन दुआयों में मांगा जा रहा है कि पाक गोलाबारी से राहत दे दी जाए जो बिना किसी उकसावे के तो है ही बिना घोषणा के जम्मू कश्मीर की सीमा पर युद्ध की परिस्थितियां बनाए हुए है, बावजूद सीजफायर के।

इन सीमावर्ती गांवों की स्थिति यह है कि जहां कभी दिन में लोग कामकाज में लिप्त रहते थे और रात को चैन की नींद सोते थे अब वहीं दिन में पेट भरने के लिए अनाज की तलाश होती है तो रातभर आसमान ताका जाता है। आसमान में वे उन चमकने वाले गोलों की तलाश करते हैं जो पाक सेना तोप के गोले दागने से पूर्व इसलिए छोड़ती है क्योंकि वह टारगेटांें को स्पष्ट देख लेना चाहती है।

ऐसा भी नहीं है कि 814 किमी लम्बी जम्मू कश्मीर की एलओसी से सटे क्षेत्रों में रहने वाले सीमावासी अपने घरों में रह रहे हों। वे जितना पाक गोलाबारी से घबरा कर खुले आसमान के नीचे मौत का शिकार होने को मजबूर हैं उतनी ही परेशानी उन्हें भारतीय पक्ष की जवाबी कार्रवाई से है। भारतीय पक्ष की जवाबी कार्रवाई से उन्हें परेशानी यह है कि जब वे बोफोर्स जैसी तोपों का इस्तेमाल करते हैं तो उनके मकानों में दरारें पड़ जाती हैं जो कभी कभी खतरनाक भी साबित होती हैं।

पाक तोपों का शिकार होने वालों के लिए सबसे बड़ी परेशानी यह है कि सरकार की ओर से उन्हें किसी प्रकार की सहायता नहीं पहुंचाई जा रही है उस गोलाबारी से बचने के लिए जो 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद सबसे अधिक भयानक व खतरनाक है। वैसे प्रशासन की ओर से उन्हें राहत पहुंचाने के लम्बे-चौड़े दावे अवश्य किए जा रहे हैं मगर इन दावों की सच्चाई यह है कि खाने को अनाज नहीं बल्कि इन लोगों को पाकिस्तानी गोलियां व गोले अवश्य मिल रहे हैं।

स्थिति यह है कि ये हजारों लोग न घर के हैं और न ही घाट के। पाक तोपों के भय के कारण वे घरों में नहीं जा पाते तो मौसम उन्हें मजबूर करता है कि वे खतरा बन चुके घरों में लौट जाएं। आगे कुआं और पीछे खाई वाली स्थिति बन गई है इन लोगों के लिए जो खुदा से पाक गोलाबारी से राहत की दुआ और भीख तो मांग रहे हैं मगर वह उन्हें मिल नहीं पा रही है।

Web Title: Jammu and Kashmir LOC shelling Pak shells rain ceasefire violations people in panic

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