जम्मूः जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों के सफल आप्रेशनों का एक पहलू यह है कि अब कश्मीर में सक्रिय हर दूसरा आतंकी कमांडर बनने लगा है।
दरअसल एलओसी पार जाकर हथियारों की ट्रेनिंग लेने जाना मुश्किल होने तथा अभिभावकों की पुकार पर वापस लौटने वालों का सिलसिला तेज होना भी एक कारण है कि नई भर्ती मुश्किल होती जा रही है। इस साल कश्मीर में अभी तक मारे गए 230 आतंकियों में आधे से अधिक कमांडर रैंक के ही आतंकी थे। यह बात अलग है कि उनमें से चौथाई पर ही इनाम इसलिए घोषित किए गए थे क्योंकि सुरक्षबलों के लिए वे चुनौती साबित हो रहे थे।
आतंकवाद के शुरुआती दौर में कश्मीर में आतंकी कमांडरों का मारा जाना बहुत बड़ी सफलता के साथ ही खुशी का कारण माना जाता था लेकिन अब प्रत्येक दूसरे आतंकी को कमांडर का रैंक दिए जाने के बाद अब यह खुशी सिर्फ इनामी कमंाडरों के मारे जाने से ही मिल रही है। इतना जरूर था कि इस साल अभी तक जो 230 आतंकी मारे गए हैं उनमें से सबसे ज्यादा जून महीने में मारे गए हैं। जून महीने मरने वाले आतंकियों की संख्या 48 थी। इससे पहले सबसे अधिक आतंकी क्रमशः अप्रैल में 29, जनवरी में 22, अक्तूबर में 21 और जुलाई में 20 मारे गए थे।
कश्मीर में मौतों के सिलसिले मंें सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इस साल अभी तक कश्मीर में 313 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि अभी दिसम्बर के महीने के 23 दिन बाकी हैं।
इस साल मारे गए 313 लोगों में 230 आतंकी, 52 सुरक्षाकर्मी तथा 31 नागरिक भी शामिल हैं। जानकारी के लिए वर्ष 2008 में भी 90 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे और वर्ष 2007 के बाद नागरिकों की मौत का आंकड़ा ढलान पर था। ऐसे में यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि कश्मीर में हिंसा तेज हुई है और उसका खमियाजा सुरक्षाबलों के साथ-साथ नागरिकों को भी भुगतना पड़ रहा है।