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जम्मू-कश्मीर: आजादी के दिन सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां कैंसिल

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: August 9, 2023 13:00 IST

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आजादी वाले दिन अर्थात 15 अगस्त को सभी सरकारी कर्मचारियों को स्वाधीनता समारोहों में हाजिर होने के साथ अपने कार्यालयों में होने वाले समारोहों में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है।

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ठळक मुद्देजम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आजादी वाले दिन सभी सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कीशिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है कि सभी टीचर समुदाय घरों पर तिरंगा फहराकर फोटो भेजें15 अगस्त के दिन छुट्टी पर जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा सकता है

जम्मू: आजादी वाले दिन अर्थात 15 अगस्त को सभी सरकारी कर्मचारियों को स्वाधीनता समारोहों में हाजिर होने के साथ ही अपने अपने कार्यालयों में होने वाले समारोहों में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है अर्थात उनकी छुट्टी कैंसिल कर दी गई है। यही नहीं शिक्षा विभाग ने अध्यापकों, प्रोफेसरों, लेक्चरारों आदि को पूरे प्रदेश में अपने अपने घरों पर तिरंगा फहरा कर फोटो सबमिट करने को भी कहा है। सरकारी कर्मियों को अपने सोशल मीडिया अकांउंट पर भी तिरंगे के साथ डीपी लगाने का आदेश पहले ही दिया जा चुका है।

इस बार के आजादी के पर्व को 'मेरी माटी, मेरा देश' के तहत मनाने की मुहिम के तहत प्रदेश के सभी स्कूलों और कालेजों आदि को सरकारी व प्राइवेट सभी को सजाने के लिए कहा गया है। दूर दराज के कई स्कूलों में अन्य कार्यक्रमों के साथ ही प्रभात फेरियों का प्रोग्राम भी शुरू कर दिया गया है।

सरकारी आदेशों की खास बात यह है कि स्कूलों में उस दिन करवाए जाने वाले समारोहों में निबंध प्रतियोगिताओं के लिए जो थीम तय की गई है उसमें सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों को शामिल किया जाना अनिवार्य बनाया गया है। याद रहे इससे पहले सामान्य प्रशासनिक विभाग ने 15 अगस्त के दिन पूरे प्रदेश में होने वाले सभी सरकारी समारोहों में सभी सरकारी कर्मचारियों की अनुपस्थिति अनिवार्य बनाने का आदेश जारी करते हुए कहा था कि उस दिन छुट्टी पर जाने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को गैर हाजिर मानने के साथ ही उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी।

वैसे स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर समारोह स्थलों पर सरकारी कर्मियों की उपस्थिति अनिवार्य बनाए जाने संबंधी जारी सरकारी अध्यादेश कोई नया नहीं है। कश्मीर में आतंकवाद की शुरूआत के साथ ही यह विवाद आरंभ हुआ था जो आज भी जारी है। ऐसे आदेश को सख्ती से लागू करने का कार्य वर्ष 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की सरकार के दौरान हुआ था जिन्होंने तब स्थानीय विधायकों को भी सख्त ताकिद की थी कि अगर उनके इलाके के सरकारी कर्मचारी अनुपस्थित हुए तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

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