जम्मू कश्मीर सरकार की आधिकारिक छुट्टियों की सूची ने खोला पिटारा बवाल का

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: December 21, 2025 09:38 IST2025-12-21T09:38:22+5:302025-12-21T09:38:25+5:30

Jammu Kashmir: इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में वर्ष 2025 तक मनाए जाने वाले सार्वजनिक अवकाशों की सूची में यथास्थिति बनाए रखने के सरकार के निर्णय की सराहना की।

Jammu and Kashmir government's official holiday list has sparked controversy | जम्मू कश्मीर सरकार की आधिकारिक छुट्टियों की सूची ने खोला पिटारा बवाल का

जम्मू कश्मीर सरकार की आधिकारिक छुट्टियों की सूची ने खोला पिटारा बवाल का

Jammu Kashmir: जम्मू कश्मीर सरकार की आधिकारिक छुट्टियों की सूची ने प्रदेश में विवाद का नया पिटारा खोलते हुए प्रदेश की राजनीति में नया बवाल पैदा कर दिया है। दरअसल जम्मू कश्मीर सरकार ने वर्ष 2026 के लिए जो अपनी आधिकारिक छुट्टियों की सूची घोषित की तो उसमें 5 दिसम्बर को आने वाले शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के जन्मदिन और 13 जुलाई के शहीद दिवस को सूची से बाहर कर दिया है। हालांकि सत्तारूढ़ दल नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं ने इन छुट्टियों को बहाल करने का वादा किया था, जिन्हें पहले उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा हटा दिया गया था।

ऐसे में उप राज्यपाल के आदेश पर सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) द्वारा जारी की गई सूची ने एक बार फिर दोहरी पावर की राजनीति की “वास्तविक शक्ति” को उजागर किया है जिसके प्रति पहले भी मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनका मंत्रिमंडल चिंता प्रकट कर चुका है।

पांच अगस्त 2019 को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद के घटनाक्रम के बाद रद्द किए गए ‘शहीदी दिवस’ और शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती के उपलक्ष्य में छुट्टियां सूची में जगह पाने में विफल रहीं, जबकि नेशनल कांफ्रेंस ने अपने घोषणापत्र में इसकी प्रतिबद्धता जताई थी और सरकार बनने के बाद इसे कई बार दोहराया था।

जैसे ही इस सूची ने जम्मू कश्मीर के राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी, नेशनल कांफ्रेंस की ओर से पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया पार्टी की ओर से आई है। पार्टी प्रवक्ता ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आज की छुट्टियों की सूची और यह निर्णय कश्मीर के इतिहास और लोकतांत्रिक संघर्ष के प्रति भाजपा की उपेक्षा को दर्शाता है। जबकि हमें उम्मीद थी कि शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और 13 जुलाई के शहीदों जैसे नेताओं की याद में छुट्टियां शामिल की जाएंगी, लेकिन उनकी अनुपस्थिति उनके महत्व या हमारी विरासत को कम नहीं करती है।

5 दिसंबर को नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता ने शेर-ए-कश्मीर की जयंती पर छुट्टी के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 5 अगस्त, 2019 के बाद, उन्होंने (केंद्र) कई ऐसे फैसले लिए जो लोगों के हित में नहीं थे और लोगों की भावनाओं के खिलाफ थे।

हालांकि थोड़े दिन पहले उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने भी इस (छुट्टी) के बारे में मीडिया से बात की और कहा था कि “हां, छुट्टी घोषित की जाएगी, आप बस थोड़ा धैर्य रखें। क्यों नहीं घोषित की जाएगी? यह छुट्टी कोई सामान्य दिन नहीं बल्कि शेर-ए-कश्मीर की जयंती होगी, जिन्होंने हमें जम्मू-कश्मीर राज्य दिया; हमारे नेता, जिन्होंने इसकी कल्पना की और इसे (जम्मू कश्मीर) बनाया। ऐसे राजनीतिक दिग्गज की जयंती मनाने के लिए छुट्टी क्यों नहीं होनी चाहिए?

इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में वर्ष 2025 तक मनाए जाने वाले सार्वजनिक अवकाशों की सूची में यथास्थिति बनाए रखने के सरकार के निर्णय की सराहना की। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि 28 दिसंबर, 2019 को उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा लिए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय में 13 जुलाई और 5 दिसंबर को दो विवादास्पद राजकीय अवकाशों को वर्ष 2020 में मनाए जाने वाले सार्वजनिक अवकाशों की सूची से हटा दिया गया। तब से यह प्रथा अपरिवर्तित रूप से जारी है।

इस निर्णय का पूरे देश में व्यापक रूप से स्वागत किया गया क्योंकि ये अवकाश विवादास्पद और क्षेत्र विशेष थे।

Web Title: Jammu and Kashmir government's official holiday list has sparked controversy

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