जम्मूः जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किये जाने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित जाने के बाद पहली बार यहां के दौरे पर आये केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर युवा जम्मू कश्मीर के विकास में शामिल होंगे, तो आतंकवादी अपने नापाक मंसूबों में विफल हो जाएंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि तीन परिवारों ने 70 साल तक जम्मू-कश्मीर को क्या दिया। 87 विधायक और 6 सांसद। 30000 लोगों को निर्वाचित प्रतिनिधि बनाने का काम मोदी जी ने किया है, हर गांव में एक पंचायत बनाई गई है, अब इन तीन परिवारों की 'दादागिरी' नहीं चलेगी।
जम्मू में एक रैली को संबोधित करते हुये शाह ने कहा, ‘‘जम्मू के लोगों को नजरअंदाज करने का वक्त अब समाप्त हो गया है, जम्मू और कश्मीर, दोनों का विकास अब साथ-साथ होगा ।’’ उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के विकास में कोई भी रोड़े नहीं अटका पाएगा। शाह ने कहा, ‘‘अगर युवा जम्मू कश्मीर के विकास में शामिल होंगे, तो आतंकवादी अपने नापाक मंसूबों में विफल हो जायेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में अब तक 12 हजार करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है और हमारा लक्ष्य 2022 के अंत तक इसे 51 हजार करोड़ रुपये करने का है।’ शाह ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य है कि कोई भी नागरिक हिंसा में न मारा जाए और जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद का सफाया हो।’ अधिकारियों ने बताया कि शाह रविवार को यहां पहुंचे और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जम्मू के नये परिसर का उद्घाटन किया।
महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर में प्रतिबंधों पर सीडीएस रावत की टिप्पणी की निंदा की
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने रविवार को आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति से निपटने का केंद्र का एकमात्र तरीका ‘दमन करना’ है। कश्मीर में हाल की हिंसक घटनाओं से निपटने के लिए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी संबंधी प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए महबूबा ने कहा कि उनका यह बयान आधिकारिक कथन के ‘विरोधाभासी’ है कि घाटी में सब कुछ ठीक चल रहा।
उन्होंने ट्विटर पर आरोप लगाया, ‘‘ कश्मीर को एक खुली जेल में बदलने के बाद भी बिपिन रावत का बयान कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि जम्मू कश्मीर में स्थिति से निपटने के लिए भारत सरकार का एकमात्र तरीका दमन करना है। यह उनके आधिकारिक कथन के भी विपरित है कि यहां सब कुछ ठीक है।’’
असम में शनिवार को प्रथम रविकांत सिंह स्मृति व्याख्यान देते हुए रावत ने कहा कि हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर के लोग आवाजाही की स्वतंत्रता का लाभ उठाने लगे थे, लेकिन मौजूदा स्थिति की वजह से यह बाधित हो सकता है। उन्होंने स्थिति से निपटने में लोगों से सहयोग करने की अपील की। पीडीपी प्रमुख ने कहा कि ‘सामूहिक गिरफ्तारी’, ‘ इंटरनेट को निलंबित करने’ और ‘नए सुरक्षा बंकर’ तैयार करने जैसे ‘कड़े, कठोर और दमनकारी कदमों’ के बाद अब क्या कदम उठाने बाकी रह गए हैं।