जम्मू-कश्मीर: बर्फबारी से कहीं आफत और परेशानी, कहीं मौजां और खुशी

By सुरेश एस डुग्गर | Published: January 10, 2023 03:35 PM2023-01-10T15:35:51+5:302023-01-10T15:37:02+5:30

खुशी का कारण सफेद चादर से लिपटी वादी की ओर बढ़ते सैलानियों के कदम थे तो बर्फ के कारण इन गर्मियों में पानी और बिजली के संकट से नहीं जूझना पड़ेगा, यह सोच भी खुशी देने वाली थी।

Jammu and Kashmir due to snowfall somewhere there is trouble and trouble, somewhere there is fun and happiness | जम्मू-कश्मीर: बर्फबारी से कहीं आफत और परेशानी, कहीं मौजां और खुशी

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsकई सालों का रिकॉर्ड तोड़ने वाली भयंकर सर्दी के दौर से गुजर रहे जम्मू कश्मीर के निवासियों के लिए बर्फबारी खुशी भी लाई है।प्रदेश में बर्फबारी के कारण पहाड़ों पर हुई बर्फबारी इन गर्मियों के खुशहाल होने का संकेत भी देती थी।हिम सुनामी की चेतावनी अभी भी दी जा रही है।

जम्मू: कश्मीर के बारामुल्ला का राशिद बर्फबारी के लिए हाथ उठाकर खुदा का शुक्रिया अदा करने से नहीं चूकता था। साथ ही वह यह भी दुआ कर रहा था कि भयानक बर्फबारी न हो और न ही हिम सुनामी तथा एवलांच हो क्योंकि प्रदेशभर में बर्फबारी से अगर कहीं मौजां और खुशी का माहौल था तो कहीं पर यह अब आफत और परेशानी का सबब भी बनने लगी थी।

कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ने वाली भयंकर सर्दी के दौर से गुजर रहे जम्मू कश्मीर के निवासियों के लिए बर्फबारी खुशी भी लाई है। खुशी का कारण सफेद चादर से लिपटी वादी की ओर बढ़ते सैलानियों के कदम थे तो बर्फ के कारण इन गर्मियों में पानी और बिजली के संकट से नहीं जूझना पड़ेगा, यह सोच भी खुशी देने वाली थी।

बर्फबारी के नजारे लेने कश्मीर की ओर सैलानियों के बढ़ते कदमों के कारण ही पिछले साल आने वाले टूरिस्टों की संख्या ने नया रिकॉर्ड कायम किया था और अब उन पर कोरोना 4.0 की कोई दहशत नहीं थी। पर राशिद के बकौल, अगर खुदा ने चाहा तो बर्फ से लदे पहाड़ों की गोद में बैठ बर्फ से खेलने में मस्त सैलानियों की भीड़ को देख उसे यह आस जगने लगी थी कि यह आंकड़ा इस बार भी कोई नया रिकॉर्ड बना डालेगा।

प्रदेश में बर्फबारी के कारण पहाड़ों पर हुई बर्फबारी इन गर्मियों के खुशहाल होने का संकेत भी देती थी। गर्मियों में पीने तथा कृषि के लिए पानी की कमी के साथ-साथ बिजली संकट से सामना नहीं होगा, बर्फबारी ने इसे सुनिश्चित जरूर कर दिया है। दरअसल प्रदेश की सभी पनबिजली परियोजनाएं बर्फबारी पर ही इसलिए निर्भर हैं क्योंकि प्रदेश के दरियाओं में पानी बर्फ के पिघलने से ही आता है।

पर यह बर्फबारी आफत और परेशानी का सबब भी बन चुकी थी। वर्ष 2018 में गुलमर्ग में हिमस्खलन के दौरान बीसियों सैनिकों की मौत की घटना के अतिरिक्त वर्ष 2005 तथा वर्ष 2008 में राज्य के कई हिस्सों में आए हिम सुनामी की याद से ही आम कश्मीरी सिंहर उठता है। हिम सुनामी की चेतावनी अभी भी दी जा रही है।

वैसे दुर्गम स्थानों में रहने वालों के लिए यह किसी सुनामी से कम नहीं है कि बर्फबारी के कारण उनकी जिन्दगी नर्क बन चुकी है क्योंकि प्रदेश के कई गांव पूरी दुनिया से कटने लगे थे। बीमारों के लिए कोई राहत नहीं है। खाने-पीने की वस्तुओं की कमी भी महसूस की जाने लगी है। हालांकि इन सबके बीच सरकारी दावे जारी थे जबकि इन दावों की सच्चाई यह थी कि प्रदेश के विभिन्न राजमार्गों और लिंक मार्गों से बर्फ हटाने का कार्य भी अभी जोर नहीं पकड़ पाया था जबकि भूस्खलन कई मार्गों में जान का खतरा पैदा करने लगा था।

Web Title: Jammu and Kashmir due to snowfall somewhere there is trouble and trouble, somewhere there is fun and happiness

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