जम्मू-कश्मीर: ‘दरबार मूव’ इस बार भी किया जाएगा पर इस वजह से कोम होगा फाइलों का बोझ

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: April 6, 2021 16:01 IST2021-04-06T16:01:21+5:302021-04-06T16:01:21+5:30

जम्मू कश्मीर की गीष्मकालीन राजधानी मई से अक्टूबर तक श्रीनगर में रहती है और शीतकालीन राजधानी नवंबर से अप्रैल तक जम्मू में रहती है। इस मूवमेंट को दरबार मूव कहा जाता है।

Jammu and Kashmir: 'Darbar move' will be done this time too but burden of files will get reduce | जम्मू-कश्मीर: ‘दरबार मूव’ इस बार भी किया जाएगा पर इस वजह से कोम होगा फाइलों का बोझ

जम्मू-कश्मीर: ‘दरबार मूव’ में इस बार कम होगा फाइलों का बोझ (फाइल फोटो)

Highlights15 अप्रैल से ई आफिस व्यवस्था लागू होगी, फाइलों का बोझ हो जाएगा कमकुछ गोपनीय फाइलों को छोड़कर बाकी सारे दस्तावेजों को डिजिटलाइज कर दिया गया है12 अप्रैल तक सचिवालय कर्मियों को ई आफिस व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण देना है

जम्मू: डेढ़ सौ साल से चली आ रही ‘दरबार मूव’ की प्रथा इस बार भी होगी। इस बार हालांकि अंतर यही होगा कि फाइलों का बोझा कम हो जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि 15 अप्रैल से ई आफिस व्यवस्था लागू हो जाएगी। ट्रकों से फाइलों को कश्मीर नहीं ले जाया जाएगा जिससे थोड़ा खर्चा कम हो जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि 10 मई को श्रीनगर में दरबार खुलते ही नई व्यवस्था के तहत कामकाज शुरू हो जाएगा। इस बार सचिवालय के विभागों की कुछ गोपनीय फाइलों को छोड़कर बाकी सारे दस्तावेजों को डिजिटलाइज कर दिया गया है। 

12 अप्रैल तक सचिवालय के कर्मियों को ई आफिस व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण दे दिया जाएगा। जम्मू के निर्वाचन भवन में अधिकारियों, कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

दरअसल, साल में दो बार ‘दरबार मूव’ के तहत सभी प्रशासनिक सचिवों से लेकर इससे जुड़े करीब दस हजार कर्मचारी जम्मू से श्रीनगर शिफ्ट होते हैं। इस शिफ्टिंग में कई ट्रकों में फाइल्स, कंप्यूटर ,फर्नीचर और अन्य सामानों को भरकर ले जाया जाता है। 

जम्मू-कश्मीर: दरबार मूव क्या है

दरअसल जब प्रदेश में भीषण सर्दी पड़ती है तो राजधानी को श्रीनगर से जम्मू लाया जाता है। वहीं, जब गर्मी का मौसम शुरू होने वाला होता है तो राजधानी श्रीनगर में मूव कर जाती है। 

इस मूवमेंट को दरबार मूव कहा जाता है। इस बार जम्मू में 30 अप्रैल को दरबार बंद हो रहा है। इसलिए इस बार दरबार मूव में फाइलों के भारी भरकम रिकॉर्ड को श्रीनगर ले जाने के लिए सैकड़ों ट्रकों की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

कुछ गोपनीय व महत्वपूर्ण फाइलों को ही श्रीनगर लेने के लिए 10 ट्रकों की जरूरत होगी। इस व्यवस्था से सरकार के करोड़ों रुपये की बचत होगी। पहले दरबार मूव पर करीब 400 करोड़ खर्च होता था।

सरकार ने आदेश जारी कर प्रशासनिक सचिव को हिदायत दी कि वे 15 अप्रैल से ई आफिस व्यवस्था कायम कर लें। अपने-अपने विभागों में गोपनीय संवेदनशील रिकार्ड की सूची तैयार कर लें जिन्हें श्रीनगर ले जाना है। 

इन फाइलों के बारे में सामान्य प्रशासनिक विभाग को 15 अप्रैल तक सारी जानकारी देनी होगी ताकि फाइलों को जम्मू से श्रीनगर सचिवालय लेने की तैयारी की जाए। सचिवालय के रिकॉर्ड को डिजिटल स्वरूप में ट्रांसफर करने के बाद इस बार जम्मू से सरकारी रिकार्ड को ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर ले जाने में ट्रकों की जरूरत कम पड़ेगी।

सरकार ने एस्टेट विभाग के निदेशक को निर्देश दिए है कि उनकी जिम्मेदारी होगी कि महत्वपूर्ण फाइलों को सही तरह से श्रीनगर पहुंचाया जाए। फाइलों को श्रीनगर ले जाने से पहले सुनिश्चित किया जाएगा कि कि दीमक आदि उनका कोई नुकसान न कर सके। 

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