Jagannath Rath Yatra 2022: भगवान जगन्नाथ की 145वीं रथ यात्रा, एक जुलाई से शुरू, 25,000 सुरक्षा कर्मी तैनात, यात्रा में 18 हाथी, 100 ट्रक और 30 अखाड़े शामिल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 27, 2022 03:39 PM2022-06-27T15:39:21+5:302022-06-27T15:40:28+5:30
Jagannath Rath Yatra 2022: दो साल के अंतराल के बाद शहर में पूर्ण रूप से रथ यात्रा निकाली जाएगी, क्योंकि 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण यह वृहद धार्मिक आयोजन सीमित तौर पर हुआ था।
Jagannath Rath Yatra 2022: गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि अहमदाबाद में एक जुलाई को आयोजित की जाने वाली भगवान जगन्नाथ की 145वीं रथ यात्रा की सुरक्षा के लिए कम से कम 25,000 सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाएगा।
दो साल के अंतराल के बाद शहर में पूर्ण रूप से रथ यात्रा निकाली जाएगी, क्योंकि 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण यह वृहद धार्मिक आयोजन सीमित तौर पर हुआ था। संघवी ने बताया कि रथ यात्रा की सुरक्षा के लिए नियमित पुलिस, रिजर्व पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस के कम से कम 25,000 पुरुष और महिला कर्मियों को शहर के महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 25,000 कर्मियों के इस बल में आठ डीजीपी या महानिरीक्षक रैंक के अधिकारी, 30 पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी और 135 सहायक पुलिस आयुक्त रैंक के अधिकारी शामिल होंगे। मंत्री ने कहा, “रथ यात्रा के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए नियमित सुरक्षाकर्मियों के अलावा हम राज्य रिजर्व पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 68 कंपनियों को तैनात करेंगे।” संघवी आयोजन के संबंध में पुलिस की तैयारियों का जायजा लेने के लिए शहर के अपराध शाखा कार्यालय पहुंचे थे।
उन्होंने कहा, “हम निगरानी के लिए तकनीक का भी इस्तेमाल करेंगे। हम नियंत्रण कक्ष और ड्रोन से जुड़े ‘बॉडी-वियर’ कैमरों से नजर रखेंगे। रथ यात्रा के रास्ते में घूम रहे असामाजिक तत्वों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस ‘फेस डिटेक्शन’ कैमरे भी तैनात करेगी।”
पारंपरिक रूप से रथों की अगुवाई में जगन्नाथ रथ यात्रा शहर के जमालपुर इलाके में 400 साल पुराने मंदिर से सुबह लगभग सात बजे शुरू होती थी और कुछ सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों सहित पुराने शहर में घूमकर रात आठ बजे वापस आती थी।
यात्रा में आमतौर पर 18 हाथी, 100 ट्रक और 30 अखाड़े शामिल होते हैं, जो दिनभर में 15 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों को सदियों पुरानी परंपरा के तहत खलाशी समुदाय द्वारा खींचा जाता है।