ये पहली बार नहीं, शिवसेना का कांग्रेस व वैचारिक रूप से विरोधी दलों के साथ तालमेल का रहा है इतिहास

By भाषा | Published: November 29, 2019 03:12 AM2019-11-29T03:12:09+5:302019-11-29T03:12:09+5:30

Shiv Sena: ये पहली बार नहीं है जब शिवसेना ने वैचारिक रूप से विपरीत दल का समर्थन किया है, 70 के दशक में बाल ठाकरे ने किया था कांग्रेस का समर्थन

It's not new, Shiv Sena has history of allying with Congress, ideological opposite parties | ये पहली बार नहीं, शिवसेना का कांग्रेस व वैचारिक रूप से विरोधी दलों के साथ तालमेल का रहा है इतिहास

शिवसेना का वैचारिक रूप से विरोधी दलों से हाथ मिलाने का रहा है इतिहास

Highlightsशिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर बनाई है सरकार70 के दशक के में भी शिवसेना कर चुकी है कांग्रेस का समर्थन

मुम्बई: शिवसेना ने भले ही वैचारिक रूप से विपरीत कांग्रेस के साथ पहली बार सत्ता साझा की है, लेकिन पूर्व में कई बार कांग्रेस के साथ उसका सहयोगात्मक रुख रहा है। मुम्बई शहर में कई स्थानों पर ऐसे पोस्टर लगाये गए हैं जिनमें बाल ठाकरे और इंदिरा गांधी के बीच 70 के दशक के दौरान मुलाकात की तस्वीरें चस्पा हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार शाम को ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में महाराष्ट्र के 19वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।

सरकार में शिवसेना के साथ कांग्रेस और राकांपा भी शामिल हैं। शहर में विभिन्न स्थानों पर लगाये गए इन पोस्टरों में दिवंगत बाल ठाकरे और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अलावा राकांपा प्रमुख शरद पवार की भी तस्वीर है। जिन लोगों को शिवसेना के अतीत की जानकारी है उनके लिए उग्र हिंदुत्व की राजनीति के लिए जाने जानी वाली पार्टी द्वारा कांग्रेस और राकांपा से समर्थन लेना चौंकाने वाला कदम नहीं है। शिवसेना का इतिहास वैचारिक विरोधियों के साथ सहयोगात्मक रुख प्रदर्शित करने और तालमेल का रहा है।

इसमें शिवसेना द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों का समर्थन करना, पवार की पुत्री सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव में कोई भी उम्मीदवार खड़ा नहीं करने से लेकर बिल्कुल विपरीत विचारधारा वाली मुस्लिम लीग के साथ तालमेल शामिल है। पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 सीटें, शिवसेना ने 56 सीटें, राकांपा ने 54 सीटें जबकि कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं। 1966 में बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना ने पांच दशक से अधिक लंबे इतिहास में कांग्रेस के साथ औपचारिक और अनौपचारिक तालमेल किये हैं।

शिवसेना को पहले भी मिल चुका है कांग्रेस का समर्थन

शुरुआती दिनों में शिवसेना को अक्सर कांग्रेस के कई नेताओं एवं उसके विभिन्न गुटों ने प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से समर्थन किया। जानेमाने राजनीतिक विश्लेषक सुहास पलशिकर ‘इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली’ में एक लेख में लिखते हैं कि शिवसेना की पहली रैली में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामराव अदिक मौजूद थे। ‘द कजन्स ठाकरे..उद्धव एंड राज एंड इन द शैडो आफ देयर सेना’ के लेखक धवल कुलकर्णी ने कहते हैं कि 1960 और 70 के दशक में पार्टी का इस्तेमाल कांग्रेस द्वारा शहर में श्रम संगठनों पर वाम दलों के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए किया गया।

शिवसेना ने 1971 में कांग्रेस (ओ) के साथ तालमेल किया और मुम्बई और कोंकण क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार खड़े किये लेकिन वे असफल रहे। ठाकरे ने 1977 में आपातकाल का समर्थन किया और उस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में कोई भी उम्मीदवार खड़ा नहीं किया। कुलकर्णी ने कहा, ‘‘1977 में उसने मेयर चुनाव में कांग्रेस के मुरली देवड़ा का भी समर्थन किया।’’ उस समय शिवसेना का माखौल ‘वसंतसेना’ कहकर उड़ाया गया यानि 1963 से 1974 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री रहे वसंतराव नाइक की सेना।

शिवसेना कर चुकी है मुस्लिम लीग नेता का भी समर्थन 

पलशिकर लिखते हैं कि 1978 में जब जनता पार्टी के साथ तालमेल के प्रयास असफल हो गए तो शिवसेना ने कांग्रेस (आई) के साथ तालमेल किया जो कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाला धड़ा था। शिवसेना ने मुस्लिम लीग के साथ भी तालमेल किया। वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश अकोलकर ने शिवसेना पर लिखी अपनी पुस्तक ‘जय महाराष्ट्र’ में लिखा है कि 1970 के दशक में मुम्बई मेयर का चुनाव जीतने के लिए शिवसेना ने मुस्लिम लीग के साथ भी तालमेल किया था। शिवसेना के पहले मुख्यमंत्री मनोहर जोशी अपनी पुस्तक ‘शिवसेना..कल..आज..उदया’ में लिखा है कि इसके लिए शिवसेना सुप्रीमो ने मुस्लिम लीग नेता जी एम बनतवाला के साथ दक्षिण मुम्बई के नागपाड़ा में मंच भी साझा किया।

कांग्रेस और शिवसेना के बीच मिलनसारिता 80 के दशक में इंदिरा गांधी के निधन के बाद समाप्त हुई। दोनों के बीच संबंध राजीव गांधी, सोनिया गांधी और बाद में राहुल गांधी के समय खराब हुए। 80 दशक के मध्य में वह समय भी आया जब शिवसेना का झुकाव हिंदुत्व की ओर हुआ और वह भाजपा की ओर आकर्षित हुई। 80 के दशक के आखिर और 90 के दशक में पार्टी की छवि बदली और वह कट्टर हिंदुत्व वाली हो गई। ठाकरे और पवार के बीच समीकरण पांच दशक पुराने हैं। दोनों विपरीत विचारधारा वाले प्रतिद्वंद्वी थे लेकिन निजी जीवन में गहरे मित्र भी थे।

पवार अक्सर ठाकरे को बड़े दिल वाला प्रतिद्वंद्वी कहते थे। शरद पवार अपनी आत्मकथा ‘आन माई टर्म्स’ में लिखते हैं कि कैसे कट्टर प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद वह और उनकी पत्नी प्रतिभा गपशप और रात्रिभोज के लिए मातोश्री जाते थे। पवार ने यह भी लिखा है कि किस तरह से जब वह 2004 में कैंसर से पीड़ित थे तब बाल ठाकरे ने उन्हें आहार के संबंध में ‘‘कई निर्देशों’’ की सूची दी थी। पवार कहते हैं कि अकेले में ठाकरे उन्हें ‘शरदबाबू’ कहकर पुकारते थे। 2006 में जब पवार की बेटी सुप्रिया सुले राज्यसभा चुनाव में खड़ी हुई तो ठाकरे ने कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारा। 

Web Title: It's not new, Shiv Sena has history of allying with Congress, ideological opposite parties

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे