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मंदारिन सीख चीनी सैनिकों को उसी भाषा में जवाब देंगे ITBP के जवान, 200 अधिकारी को किया प्रशिक्षित

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 23, 2019 19:29 IST

आईटीबीपी के महानिदेशक सुरजीत सिंह देशवाल ने आईटीबीपी के 58वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन खबरों को भी खारिज किया जिनमें कहा गया है कि आईटीबीपी (भारत-तिब्बत पुलिस बल) की संचालन कमान सेना को सौंपी जा सकती है।

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ठळक मुद्देउन्होंने कहा, "हमने मंदारिन भाषा बोलने और समझने के लिये 200 से अधिक कर्मियों को प्रशिक्षित किया है।इससे उन्हें गतिरोध के दौरान गलतफहमियां दूर करने और सहभागिता-स्तर को बेहतर करने में मदद मिलेगी।

आईटीबीपी के 200 से अधिक अधिकारियों और जवानों को सीमा पर गतिरोध के दौरान चीनी सैनिकों से साथ "बेहतर संवाद" के लिये मंदारिन सिखाई गई है। एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

आईटीबीपी के महानिदेशक सुरजीत सिंह देशवाल ने आईटीबीपी के 58वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन खबरों को भी खारिज किया जिनमें कहा गया है कि आईटीबीपी (भारत-तिब्बत पुलिस बल) की संचालन कमान सेना को सौंपी जा सकती है।

उन्होंने कहा, "हमने मंदारिन भाषा बोलने और समझने के लिये 200 से अधिक कर्मियों को प्रशिक्षित किया है। हम अपने कर्मियों को लगातार प्रशिक्षण दे रहे हैं। इससे उन्हें गतिरोध के दौरान गलतफहमियां दूर करने और सहभागिता-स्तर को बेहतर करने में मदद मिलेगी।" देशवाल से जब आईटीबीपी की संचालन कमान सेना को दिये जाने की खबरों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आईटीबीपी सेना की तरह ही अच्छा है। 

चीन से लगी सीमा पर अंतिम बिंदु तक पहुंचने के लिये क्षमता बढ़ाई गई: आईटीबीपी डीजी

चीन से लगी सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की पहरेदारी में तैनात आईटीबीपी ने दूरस्थ सीमावर्ती बिंदु तक पहुंचने के लिये अपनी क्षमता को बढ़ाया है। साथ ही, बर्फ से ढंके इस मोर्चे पर पिछले पांच बरसों में 25 नयी चौकियां बनायी गई हैं। एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 58वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर इसके महानिदेशक (डीजी) एस एस देसवाल ने पत्रकारों से कहा कि 3,488 किलोमीटर लंबे एलएसी पर भारत और चीन के बीच ‘‘यथा स्थिति’’ कायम है और इसके लिये यह अर्द्धसैनिक बल पड़ोसी देश की तुलना में ‘‘बेहतर क्षमता’’ निर्माण को लेकर प्रयासरत है। हाल के दिनों में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) बलों द्वारा अतिक्रमण या घुसपैठ की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर देसवाल ने इसकी सटीक संख्या बताने से इनकार कर दिया।

हालांकि, उन्होंने कहा कि भारतीय बल भी चीनियों की तरह ही मुस्तैद हैं। देसवाल ने कहा, ‘‘हमलोग लगातार सीमा चौकियां बढ़ा रहे हैं, हमने गश्त बढ़ाई है और पिछले पांच साल में हमने 25 नयी सीमा चौकियां (बीओपी) बनाई हैं।’’ उन्होंने कहा कि प्रत्येक चौकी में ‘कंपनी’ के बराबर क्षमता है, अर्थात उनमें करीब 100 सुरक्षा बलों की क्षमता है। पिछले पांच-छह साल में आईटीबीपी ने सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचा एवं सड़क निर्माण में ‘‘तेजी से वृद्धि’ की है। उन्होंने कहा कि पहले चरण में कुल 270 किलोमीटर लंबी 11 सड़कें बनायी गयी हैं।

दूसरे चरण में आगामी महीनों में 1,033 किलोमीटर लंबाई की 45 सड़कों निर्माण पूरा होगा। डीजी बल के करीब 90,000 जवानों के प्रमुख हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग सीमा पर अपनी निगरानी प्रौद्योगिकी को अपग्रेड कर रहे हैं और हमने कई बुनियादी ढांचों, सीमावर्ती सड़कों, चौकियों का निर्माण किया है तथा उस मोर्चे की ऊंचाई वाली चौकियों पर अत्यधिक क्षमता वाले वाहन भेजे हैं।’’ उन्होंने कहा कि सीमा पर तंत्र (चीनी बलों के साथ परस्पर बातचीत) ‘‘बिल्कुल ठीक’’ है और सीमा बिल्कुल सुरक्षित है।

तमिलनाडु के मामल्लापुरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई हालिया अनौपचारिक शिखर बैठक के बाद दोनों देशों के बीच किसी गतिरोध की खबर के बारे में पूछे जाने पर डीजी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा एवं कूटनीतिक प्रयास अलग-अलग किये गये है और इसे इसी परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए। देसवाल ने कहा, ‘‘इन चीजों के अलावा हम बराबर सतर्क रहते हैं।’’ उल्लेखनीय है कि 1962 के चीनी आक्रमण के बाद बल का गठन किया गया था। 

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