चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग में जुटा ISRO, बेंगलुरु से 200 किलोमीटर दूर टेस्ट के लिए बनाए जाएंगे चांद जैसे गड्ढे
By विनीत कुमार | Updated: August 28, 2020 15:34 IST2020-08-28T15:31:42+5:302020-08-28T15:34:30+5:30
इसरो चंद्रयान-3 की तैयारी में जुट गया है। इसे अभी के कार्यक्रम के अनुसार अगले साल लॉन्च करना है। इसरो इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है। इसलिए लॉन्चिंग से पहले हर तरह के परीक्षण को सावधानीपूर्वक पूरा करने पर जोर है।

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग में जुटा ISRO (फोटो- इसरो)
भारत चंद्रयान-2 की सफलता के बेहद करीब आकर भी चूक गया। हालांकि, ये मिशन पूरी तरह से विफल नहीं रहा है। इसके ऑर्बिटर से अब भी कई अहम जानकारियां सामने आ रही है। हालांकि चांद पर उतरने की चाहत जरूर अधूरी रह गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) एक बार फिर उस सपने को पूरा करने में जुट गया है।
दरअसल, चंद्रयान-3 की तैयारी में जुटा इसरो बेंगलुरू से 215 किलोमीटर दूर चल्लाकेरे के उलार्थी कावालू में चांद की सतह जैसे गड्ढ़े (craters) तैयार करेगा। इसरो को अगले साल चंद्रयान-3 को लॉन्च करना है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार एक सूत्र ने बताया, 'हमने पहले ही एक टेंडर निकाल दिया है और इससे जुड़े शुरुआती अहम कामों को अंजाम देने के लिए किसी कंपनी की पहचान कर ली जाएगी। कंपनी को लेकर फैसला सितंबर के शुरुआती दिनों में या इस महीने के आखिर में पूरा कर लिया जाएगा।'
चांद के जैसे गड्ढे बनाने में आएगा 24 लाख का खर्च
रिपोर्ट के अनुसार इसरो के चल्लाकेरे में चांद के जैसे गड्ढ़े तैयार करने में करीब 24.2 लाख रुपये खर्च आएगा। एक और सूत्र ने बताया कि ये क्रेटर्स 10 मीटर व्यास वाले और तीन मीटर गहरे होंगे।
ये चांद की सतह से मिलते-जुलते बनाए जाएंगे जिस पर चंद्रयान-3 को लैंड कराया जाना है। लैंडर के सेंसर को लेकर कई कई परीक्षण भी किए जाएंगे। इसमें देखा जाएगा कि वो कैसे नकली चांद की सतह के ऊपर पहुंचता है और फिर वहां लैंड करता है।
चंद्रयान-3 मिशन में भी लैंडर और रोवर जाएंगे। साथ ही चांद के चारों तरफ घूम रहे चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के साथ लैंडर-रोवर का संपर्क भी बनाया जाएगा। यही नहीं, चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 मिशन में भी ज्यादातर प्रोग्राम पहले से ऑटोमेटेड होंगे। इसमें कई सेंसर्स लगे होंगे जो बखूबी अपना काम करेंगे। मसलन लैंडर के लैंडिंग के समय की ऊंचाई, लैंडिंग की जगह, उसकी गति, पत्थरों या बहुत बुरी सतर से लैंडर को दूर करने आदि में ये सेंसर्स मदद करेंगे।
नकली चांद पर ऐसे होगा परीक्षण
इसरो चंद्रयान-3 के भेजने से पहले उसकी टेस्टिंग करेगा। इसका पूरा खाका भी तैयार किया गया है। इसके लिए परीक्षण में नकली चांद के गड्ढों पर चंद्रयान-3 के लैंडर की 7 किलोमीटर की ऊंचाई से उतारने की तैयारी है। लैंडर के 2 किलोमीटर की ऊंचाई पर आते ही सेंसर्स काम करने लगेंगे।
ये सेंसर्स खुद अपनी लैंडिंग दिशा, गति और लैंडिंग साइट आदि का निर्धारण करेंगे। इसरो के एक वैज्ञानिक के अनुसार चंद्रयान-2 के मुकाबले इस बार टेस्टिंग पर बहुत ज्यादा जोर है और कोई गलती नहीं हो, इसकी कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि अभी ये तय नहीं है ये सबकुछ कैसे होगा लेकिन पूरी सोच ऐसी ही है।
वैसे इसरो ने चंद्रयान-2 के लिए भी ऐसे ही गड्ढे बनाए थे और उस दौरान भी परीक्षण किए गए थे। हालांकि, सूत्रों के अनुसार ऐसी चीजें खुले आसमान में बनाई जाती हैं, ऐसे में उसकी गुणवत्ता खराब हुई है और इसलिए नए क्रेटर्स को बनाने की जरूरत है।

