इशरत जहां एनकाउंटर केसः डीजी वंजारा और एनके अमीन को CBI की विशेष अदालत ने सभी आरोपों से किया बरी
By रामदीप मिश्रा | Published: May 2, 2019 01:06 PM2019-05-02T13:06:46+5:302019-05-02T13:10:53+5:30
इशरत जहां मुठभेड़ मामलाः गुजरात सरकार ने वंजारा और अमीन के खिलाफ अभियोजन चलाने की इजाजत नहीं दी थी।
गुजरात की एक विशेष अदालत इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में दो वरिष्ठ पूर्व पुलिस अधिकारियों डीजी वंजारा और एनके अमीन को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। दोनों अधिकारियों ने सीबीआई की विशेष अदालत में एक अर्जी दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने मुठभेड़ मामले में उनके खिलाफ दर्ज शिकायत को रद्द करने की मांग की थी।
सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में 30 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि पूर्व पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) और पुलिस अधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त होने वाले अमीन ने इस मामले में राज्य सरकार द्वारा उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति देने से इनकार के बाद ये अर्जियां दायर की थीं।
दोनों आरोपियों ने अपने खिलाफ कार्रवाई खत्म करने का अनुरोध इस आधार पर किया कि राज्य सरकार ने सीआरपीसी की धारा 197 के तहत उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। धारा 197 के तहत एक लोकसेवक के खिलाफ अभियोजन के लिए एक सक्षम प्राधिकार से पूर्व अनुमति जरूरी है।
राज्य सरकार ने अभियोजन की मंजूरी यह कहते हुए देने से इनकार कर दिया था कि उसे सीबीआई द्वारा पेश मामले के रिकॉर्ड के अवलोकन के बाद उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। सीबीआई के वकील ने 19 मार्च को सुनवाई के दौरान अदालत को इससे अवगत करा दिया था।
उल्लेखनीय है कि 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में पुलिस की एक कथित फर्जी मुठभेड़ में मुंबई के पास मुम्ब्रा की 19 वर्षीय इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, अमजदअली अकबर अली राणा और जीशान जौहर मारे गए थे। शहर की अपराध शाखा ने इशरत और तीन अन्य को यह कहते हुए मार गिराया था कि चारों के आतंकवादियों से संबंध थे और उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या का षड्यंत्र रचा था।