IPC, CrPC & Evidence Act: भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह अब भारतीय न्याय संहिता 2023, यहां जानें 27 बिंदु

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 11, 2023 08:17 PM2023-08-11T20:17:24+5:302023-08-11T20:20:25+5:30

IPC, CrPC & Evidence Act: अमित शाह ने कहा कि भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाने का ऐतिहासिक निर्णय भी लिया गया है। कई मामलों में दाऊद इब्राहिम वांछित है, वह देश छोड़कर भाग गया, लेकिन उस पर मुकदमा नहीं चल सकता।

IPC, CrPC & Evidence Act Highlights of Home Minister amit shah speech Bills to replace IPC, CrPC see 27 point see video | IPC, CrPC & Evidence Act: भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह अब भारतीय न्याय संहिता 2023, यहां जानें 27 बिंदु

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Highlightsअनुपस्थिति में मुकदमा चलेगा और सजा सुनाई जाएगी। ‘मॉब लिचिंग’ के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान होगा।नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले में अधिकतम मृत्युदंड का प्रावधान भी है।

IPC, CrPC & Evidence Act: गृह मंत्री अमित शाह ने ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए तीन नये विधेयक पेश किए। सदन में भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को पेश किया।

देश में गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पांच प्रण के अनुरूप इन विधेयकों को लाया गया है जो जनता के लिए न्याय प्रणाली को सुगम और सरल बनाएंगे। तीनों विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाएगा, ताकि व्यापक विचार-विमर्श हो सके। अंग्रेजों ने राजद्रोह पर कानून बनाया था लेकिन हम राजद्रोह के कानून को पूरी तरह समाप्त करने जा रहे हैं।

विधेयकों का उल्लेख करते हुए गृह मंत्री ने बताया कि भारतीय दंड संहिता 1860 में बनाई गयी थी, वहीं दंड प्रक्रिया संहिता 1898 में बनाई गयी। भारतीय साक्ष्य संहिता 1872 में बनी थी। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 स्थापित होगी। दंड प्रक्रिया संहिता 1898 की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता स्थापित होगी। भारतीय साक्ष्य संहिता 1872 की जगह अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम स्थापित किया जाएगा।

गृह मंत्री शाह के वक्तव्य के कुछ प्रमुख बिंदु:

1. कानूनों का उद्देश्य दंडित करना नहीं, बल्कि न्याय देना है। अपराध को रोकने की भावना से सजा दी जाएगी।

2. किसी अपराध के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से लेकर न्याय पाने तक पूरी प्रक्रिया डिजिटल होगी।

3. फोरेंसिक विज्ञान पर ध्यान दिया जाएगा। सात साल या उससे अधिक कारावास की सजा वाले अपराध में फोरेंसिक दल का अपराध स्थल का दौरा करना अनिवार्य होगा।

4. देश के हर जिले में भविष्य में तीन चलित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाएं (एफएसएल) तैनात रहेंगी।

5. कानूनों का उद्देश्य अदालतों में दोषसिद्धि की दर 90 प्रतिशत से अधिक करना है।

6. देश की सभी अदालतें 2027 तक कम्प्यूटराइज्ड हो जाएंगी।

7. पहली बार, ई-प्राथमिकी दर्ज करना संभव होगा।

8. देश में अपराध कहीं भी हो, उसकी शून्य प्राथमिकी (जीरो एफआईआर) कहीं से भी दर्ज की जा सकेगी। संबंधित थाने को 15 दिन के अंदर शिकायत भेजी जाएगी।

9. प्रत्येक जिले में एक पुलिस अधिकारी होगा जो हिरासत में लिये गये आरोपियों के परिजनों को उन्हें गिरफ्त में लेने का प्रमाणपत्र देगा। यह सूचना व्यक्तिगत रूप से और ऑनलाइन देनी होगी।

10. यौन हिंसा के मामलों में पीड़ित का बयान और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी।

11. पुलिस को किसी मामले में स्थिति की जानकारी 90 दिन के भीतर देनी होगी।

12. सात साल या अधिक कारावास की सजा वाले अपराध के मामले में पीड़ित का पक्ष सुने बिना कोई सरकार मामले को वापस नहीं ले सकेगी। इससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी।

13. अदालतों में मुकदमों में देरी रोकने के लिए बदलाव किये गये हैं। तीन साल से कम कारावास के मामलों में समरी ट्रायल ही पर्याप्त होगी। इससे सत्र अदालतों में 40 प्रतिशत मामले कम हो जाएंगे।

14. पुलिस को 90 दिन में आरोप पत्र दायर करना होगा। अदालत इस अवधि को 90 दिन और बढ़ा सकती है। जांच अधिकतम 180 दिन में समाप्त करनी होगी।

15. सुनवाई के बाद अदालत को 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा। इसे एक सप्ताह के अंदर ऑनलाइन डालना होगा।

16. नौकरशाहों के खिलाफ शिकायत दायर करने के लिए संबंधित अधिकारियों को 120 दिन के अंदर अनुमति देनी होगी या उससे इनकार करना होगा। यदि कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता तो इसे ‘हां’ माना जाएगा।

17. घोषित अपराधियों की संपत्ति को जब्त करके मुआवजे का प्रावधान किया गया है।

18. संगठित अपराध या अंतरराज्यीय गिरोहों के मामले में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।

19. विवाह, रोजगार या पदोन्नति के बहाने अथवा पहचान छिपाकर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा।

20. सामूहिक दुष्कर्म के मामले में 20 साल की कैद या उम्रकैद की सजा का प्रावधान है।

21. नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान है।

22. मॉब लिंचिंग के मामले में सात साल के कारावास या उम्रकैद या मृत्युदंड का प्रावधान है।

23. राजद्रोह को पूरी तरह निष्प्रभावी किया जाएगा। शाह ने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र है, सभी को बोलने का अधिकार है।’’

24. पहले आतंकवाद की कोई परिभाषा नहीं थी। पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया जा रहा है।

25. भगोड़े अपराधी की अनुपस्थिति में मुकदमा चलेगा और सजा सुनाई जाएगी।

26. वीडियोग्राफी होने पर मुकदमे के अंत तक वाहनों को नहीं रखा जाएगा।

27. दंड न्याय प्रणाली को पूरी तरह बदला जाएगा और सभी को अधिकतम तीन साल में न्याय दिलाने की सोच है।

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