इसरो साजिश मामले में तीन पूर्व पुलिसकर्मियों, पूर्व आईबी कर्मी की गिरफ्तारी से अंतरिम राहत बढ़ी

By भाषा | Updated: August 4, 2021 17:53 IST2021-08-04T17:53:32+5:302021-08-04T17:53:32+5:30

Interim relief extended by arrest of three former policemen, former IB personnel in ISRO conspiracy case | इसरो साजिश मामले में तीन पूर्व पुलिसकर्मियों, पूर्व आईबी कर्मी की गिरफ्तारी से अंतरिम राहत बढ़ी

इसरो साजिश मामले में तीन पूर्व पुलिसकर्मियों, पूर्व आईबी कर्मी की गिरफ्तारी से अंतरिम राहत बढ़ी

कोच्चि, चार अगस्त केरल उच्च न्यायालय ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) साजिश मामले में केरल पुलिस के तीन पूर्व अधिकारियों और खुफिया ब्यूरो (आईबी) के एक सेवानिवृत्त अधिकारी को गिरफ्तारी से दिया गया अंतरिम संरक्षण बुधवार को एक और दिन के लिये बढ़ा दिया।

न्यायमूर्ति अशोक मेनन की एकल पीठ को सीबीआई के वकील ने सूचित किया कि इस मामले में अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पेश होंगे। इसके बाद पीठ ने तीन पूर्व पुलिसकर्मियों और पूर्व आईबी कर्मी को गरिफ्तारी से संरक्षण की अंतरिम राहत को एक और दिन के लिए बढ़ा दिया।

अदालत ने इस मामले को पांच अगस्त को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया।

उच्च न्यायालय ने इस मामले में अलग-अलग तारीखों पर केरल पुलिस के पूर्व अधिकारियों- आर बी श्रीकुमार, एस विजयन और थंपी एस दुर्गादत्त- तथा खुफिया ब्यूरो के पूर्व अधिकारी पी एस जयप्रकाश को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था। इन सभी ने सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी।

इन चारों के अलावा 1994 के जासूसी मामले में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन की गिरफ्तारी और हिरासत के सिलसिले में जांच एजेंसी द्वारा दर्ज मामले में 14 अन्य लोगों को आपराधिक साजिश, अपहरण, साक्ष्यों से छेड़छाड़ जैसे विभिन्न आरोपों के तहत भादंवि की विभन्न धाराओं के तहत नामजद किया गया था।

नारायणन के अलावा 1994 के मामले में मालदीव की दो महिलाओं- मरियम रशीदा और फौजिया हसन- को भी गिरफ्तार किया गया था और हिरासत में रखा गया था।

दोनों महिलाओं को करीब तीन साल तक जेल में रहने के बाद रिहा किया गया था।

दोनों महिलाओं की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता प्रसाद गांधी ने दलील दी कि आरोपियों को कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि जासूसी मामले की जांच कर रहे अधिकारियों द्वारा मालदीव के नागरिकों को परेशान किया गया, गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया और तीन साल से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया।

आरोपियों के वकील ने कहा कि कथित साजिश 25 साल पहले हुई थी और इसलिए सीबीआई को अग्रिम जमानत याचिकाओं को खींचने की कोई आवश्यकता नहीं है।

अदालत ने कहा कि अंतरिम आदेश के जरिये आरोपी गिरफ्तारी से पर्याप्त रूप से सुरक्षित हैं और इसलिये समय लगने को लेकर उन्हें चिंतित नहीं होना चाहिए क्योंकि इसके व्यापक प्रभाव हैं।

तीनों पीड़ितों ने आरोपियों को अग्रिम जमानत दिए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

सीबीआई ने सभी अग्रिम जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए दावा किया था कि एक “मनगढ़ंत मामले” में नारायणन को फर्जी रूप से फंसाए जाने की वजह से भारत में क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी के विकास में विलंब हुआ।

उच्चतम न्यायालय ने 15 अप्रैल को आदेश दिया था कि नारायणन से संबंधित जासूसी मामले में जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट सीबीआई को सौंपी जाए और एजेंसी इस मामले में आगे की जांच करे।

शीर्ष अदालत ने 2018 में इस मामले में नारायणन को बरी करने के बाद उच्चतम न्यायाल के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) डी के जैन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था।

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Web Title: Interim relief extended by arrest of three former policemen, former IB personnel in ISRO conspiracy case

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