पौधा आधारित दूध उत्पादों के विक्रेताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश

By भाषा | Updated: September 10, 2021 20:33 IST2021-09-10T20:33:01+5:302021-09-10T20:33:01+5:30

Instructions not to take punitive action against the sellers of plant based milk products | पौधा आधारित दूध उत्पादों के विक्रेताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश

पौधा आधारित दूध उत्पादों के विक्रेताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश

नयी दिल्ली, 10 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘डेयरी’ शब्द का इस्तेमाल करने के लिए बादाम और जई के दूध जैसे पौधा आधारित दुग्ध उत्पादों की बिक्री करने वाली पांच कंपनियों के खिलाफ एफएसएसएआई के आदेशों के तहत किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से शुक्रवार को सुरक्षा प्रदान की। अदालत से मिली राहत के तहत ई-कॉमर्स खाद्य व्यवसाय संचालक भी अपने पोर्टल की सूची से इन उत्पादों को नहीं हटाएंगे।

भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के आदेशों को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने स्पष्ट किया कि संबंधित कंपनियों को उचित नोटिस के बाद अधिकारी कानून के अनुसार जांच करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

न्यायाधीश ने हर्शे इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, राक्यान बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड, इस्टोर डायरेक्ट ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड, ड्रम्स फूड इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और वेगनारके एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड की याचिकाओं पर नोटिस जारी किया और एफएसएसएआई से जवाब मांगा।

अदालत ने आदेश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख तक दंडात्मक कार्रवाई के आदेश पर रोक रहेगी। अदालत ने कहा, ‘‘आगे स्पष्ट किया जाता है कि...ई-कॉमर्स संचालक केवल सक्षम प्राधिकारी को रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे और अदालत द्वारा इसके विपरीत आदेश पारित किए जाने तक सूची से हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।’’

याचिकाओं में एफएसएसएआई के 15 जुलाई और एक सितंबर को जारी दो आदेशों को चुनौती दी गई है। एफएसएसएआई ने ऐसे सभी ई-कॉमर्स खाद्य व्यवसाय संचालकों को पौधा आधारित दूध और अन्य डेयरी-मुक्त उत्पादों को गैर-सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था अगर वे दूध, मक्खन, पनीर जैसे किसी भी डेयरी शब्द का उपयोग करते हैं। साथ ही एफएसएसएआई ने अपने अधिकारियों को ऐसे उत्पादकों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया।

याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल और सिद्धार्थ अग्रवाल ने दलील दी कि याचिकाकर्ता एफएसएसएआई से उचित लाइसेंस प्राप्त करने के बाद अपने उत्पादों का विपणन कर रहे हैं और उनके खिलाफ एकतरफा और बिना किसी नोटिस के कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती। सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ताओं में से एक के लिए लाइसेंस में ही उत्पाद को ‘‘सोया मिल्क’’ के रूप में परिभाषित किया है। जो लोग लैक्टोज-उत्पाद नहीं लेना चाहते हैं या अपनी जीवनशैली के हिसाब से उत्पाद चुनते हैं, उन्हें जानकारी होती है वे ‘‘गैर-डेयरी’’ या ‘‘पौधा आधारित’’ उत्पाद हैं, इसलिए गलत लेबलिंग का कोई मुद्दा नहीं है।

एफएसएसएआई के वकील ने याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा और कहा कि कानून में ‘‘दूध का नामकरण बहुत स्पष्ट है।’’

याचिका में कहा गया है कि भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पौधा आधारित उत्पादों को व्यापक रूप से डेयरी विकल्प के रूप में मान्यता प्राप्त है। इन उत्पादों के लिए ‘सोया मिल्क’, ‘बादाम मिल्क’ और ‘कोकोनट मिल्क' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। मामले में अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी।

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Web Title: Instructions not to take punitive action against the sellers of plant based milk products

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